हे भारतीय रेलवे, आप कब सुधरोगे ?
गांव जाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस से बेटे के लिए टिकट बनाया। कल रात 8.30 बजे निकलना था, पुरे 24 घंटे लेट ट्रेन आज रात 8.10 बजे निकलेगी। 8.10 में ट्रेन निकल ही जाएगी, ये अभी भी निश्चित नहीं है।
3 जनवरी को जिस स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस को दरभंगा से 3.30 बजे दिन में निकलना था वो 4 जनवरी को सुबह 7.30 बजे निकला 32 घंटे हो गए अभी तक दिल्ली नहीं पहुंचा है। आश्चर्य देखिए सुबह 4 बजे कानपूर से चला यह गाड़ी 3 बजे दिन तक अलीगढ नहीं पहुंचा है। यानी 9 घंटे में 300 किलीमीटर की दुरी तय नहीं कर पाया है। ये गाड़ी जब दिल्ली आएगी तब ये 4 जनवरी वाले पैसेंजर को वापस दरभंगा ले जाएगी।
इस लालफीताशाही, लेटलतीफी के लिए कौन दोषी है? 22 घंटे की दूरी को तीन दिन में भी नहीं कवर करने के लिए कोई तो जिम्मेदारी लेगा ? कब तक राम भरोसे हमारा रेल चलता रहेगा? क्या सामान्य जन के समय की कोई कीमत नहीं है ? क्या रेलवे को उन यात्रियों को मुआवजा नहीं देना चाहिए, जिनका कितने महत्वपूर्ण काम रेलवे के लेटलतीफी के कारन छूट गया हो ?
यही विशिष्ट जनों की सवारी "हवाई जहाज" कुछ घंटो की देरी होने पर कोहराम मच जाता है। यात्रियों के लिए खाना-पीना-ठहरना आदि का इंतजाम ऑथिरिटी को करना पड़ता है कोई कोर्ट चला जाता है तो माननीय समय की क्षति पूर्ति के लिए मुआवजा भी दिलाते है। लेकिन आमलोगों के समय की कोई कीमत माननीय भी नहीं लगाते।
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