कब तक भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मिडिया ट्रोल में फंसते रहेंगे ? कब आत्महीनता से बाहर आएंगे ?
भाजपाइयों
की बहुत बड़ी कमी उसका आत्महीनता है, इसलिए मीडिया ट्रोल में जल्दी फंस जाता है।
भाजपा से असहमत मुद्दों पर उसके राजनीतिक विरोधी
और सेकुलर मिडिया उसको घेरने का प्रयास करेगा हीं। भाजपा के ईनर्जेटिक नेता के छवि
को कुंद करने के लिए उसके बयानों को विवादास्पद बयान बताएंगे हीं। ऐसे समय में भाजपाइयों
को चाहिए मिडिया ट्रैप मे ना फंसते हुए अपने नेता के साथ खड़े होकर इस षडयंत्र को तहस
- नहस कर दे।
आप गौर
से देखेंगे तो पाएंगे यूपी में योगी आदित्य नाथ, संगीत सोम और साक्षी महराज, विनय कटियार
के हर बयान को विवादास्पद बनाने का षड्यंत्र खेला जाता है। क्योंकि इन चारो नेताओं का यूपी ने बहुत ही व्यापक
सामाजिक-राजनीतिक आधार है। इसलिए भाजपा को कमजोर करने के लिए इन नेताओं की घेराबंदी
किया जाता है। और इस षडयंत्र की अनचाहे जब भाजपा के लोग टूल्स बन जाते हैं और अपने
ही नेता का ट्रोल शुरू कर देते हैं तो विवश पार्टी उन नेताओं को साइड कर देता है। वैसे
साइड करने में कुछ आंतरिक पोल्टिक्स भी अपनी भूमिका निभाता है।
यूपी को
हीं एक उदाहरण के रूप मे हम देखें तो पूर्वी यूपी से योगी आदित्य नाथ, मध्य से विनय
कटियार और साक्षी महराज, पश्चिमी यूपी से संगीत सोम एक खास सामाजिक-राजनीतिक आधार का
प्रतिनिधित्व करते है। इनलोगों को किनारा करने
का मतलब है,भाजपा का एक व्यापक सामाजिक आधार से हाथ धो बैठना। इसलिए भाजपा के विरोधी
ऐसे नेता को अपना निशाना बनाते है। उन्हें इन नेताओं और उनके वक्तव्य से तकलीफ नहीं
है, इनके व्यापक सामाजिक राजनीतिक आधार से तकलीफ है।
भाजपा के कार्यकर्ताओं को मिडिया और विपक्ष के इस
षडयंत्र को समझना होगा और उन्हें रणनीतिक रूप से अपने नेता के पिछे खड़ा होना होगा
जिससे मिडिया और विपक्ष के कुटिल चाल को नाकामयाब किए जा सके। क्या आप समझते है, योगी आदित्य नाथ, कैलाश विजयवर्गीय,
प्रवीण तोगड़िया आदि बिना सोचे-समझे ऐसे वयान देते है? नहीं, ये लोग बहुत मजे हुए
नेता है, हर शब्द सोचकर-समझकर बोलते हैं, रणनीतिक रूप से ऐसे वयान देते है।
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