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गोसाउनिक गीत : जय जय भैरवि असुर भयाउनि

जय जय भैरवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनि माया
सहज सुमति बर दिय हे गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया ।।

बासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूडा
कतओक दैत्या मारि मुँह मेललि
कतओ उगिलि करु कूडा ।।

सामर वरण नयन अनुरंजित
जलद जोग फुलकोका
कटकट विकट ओठ पुट पाँडरि
लिधुर फेल उठ फोका ।।

घनघनघनन घुघुरु कत बाजए
हनहन कर तुअ काता
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरु जनु माता ।।


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