36 हिंदुओं की बलि चढाकर शासन ने एक बलात्कारी गुरमित सिंह उर्फ राम रहीम को जेल की सलाखों में डाल पाया।
आज यदि 36 मुसलमान एक दिन में किसी भाजपा शासित राज्य मे पुलिस के हाथों मारा गया होता तो क्या ये सेकुलर गैंग, मानवाधिकारवादी, मिडिया, एनजीओ समूह आदि इसी तरह चुप रहते?
आज जिस तरह एक बलात्कारी और जाहिल गुरमित सिंह उर्फ राम रहीम को न्याय के कटघरे में लाने के परिणामस्वरूप 36 हिंदू पुलिस के गोली लगने से मारे गए अगर ऐसे हीं घटनाक्रम में पुलिस की गोली से 36 मुसलमान मारे गए होते तो अभी तक ये गैंग पूरे देश में आग लगा दिए होते, टीवी पर कितने झूठे कहानी-झूठे तस्वीर चल रहे होते, अखबारों में कितने पन्ने रंग गए होते, अमेरिका से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक को लेटर भेजे गए होते।
यही होता आया है यहाँ, मुसलमानों का खून तो खून है लेकिन हिंदुओं का खून पानी है। एक आतंकवादी मारा जाता है तो पूरे देश में खलबली मच जाता है लेकिन 36 हिंदुओं के मौत पर भी चारों ओर गजब का सन्नाटा है।
क्या हमारा देश इतना नैतिक हो गया है कि एक बलात्कारी बाबा के समर्थक/गुंडो के मौत के कारण चुप है या खुश है? जी नहीं मरने वाले सारे हिंदू हैं इसलिए सब चुप हैं । आज यदि मरने वाले मुसलमान या ईसाई होता तब यही लोग सारी नैतिकता गटर में डालकर बलात्कारी के गुंडों के पक्ष ऐसे समा बांधते की सरकार को जवाब देते-देते हालत खराब हो गया होता।
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