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कौशल विकास की जगह इसे एनजीओ विकास मंत्रालय कहना अच्छा होगा।

सरकारी आंकड़ों को छोड़ दें तो कौशल विकास मंत्रालय द्वारा जमीन पर बेरोजगारों को कौशल की सार्टिफिकेट प्रदान करने के अलावा और कुछ नहीं हो रहा है।

मंत्रालय ने कौशल विकास के सारे काम ठेकों पर एनजीओ को दे रखा है।  एनजीओ के पास दक्ष  तकनीकी  टीम और योग्य प्रशिक्षकों का घोर अभाव है। योग्य प्रशिक्षक को जितना पैसे चाहिए ये लोग देते नहीं हैं, सोच सकते हैं बिना योग्य प्रशिक्षकों के कौशल विकास कैसे होगा। इन हालातों में ये एक तरह से सार्टिफिकेट बांटने का अड्डा बन गया है।

एक तरह से देखें तो, कौशल विकास के नाम पर एनजीओ को सरकार से फंड मिलता है बदले में एनजीओ सरकार को आंकड़े मुहैया कराते हैं। जबतक पूरे परियोजना को सरकार अपने हाथ में नहीं लेता है, इसके लिए अलग से यूनिवर्सिटी/कॉलेज नहीं खोलता है तबतक ये कौशल विकास नहीं एनजीओ विकास हीं बना रहेगा।

कौशल विकास के लिए चल रहे किसी भी सेंटर पर आप चले जाइए ये सेंटर आपको कभी खुले नहीं मिलेंगे। भगवान भरोसे कभी खुले मिल भी गए तो वहाँ  आपको ना प्रशिक्षक मिलेंगे, ना स्टूडेंट्स। और सबसे बड़ी बातें तो कौशल विकास का कोई केंद्र आपको मिलेगा नहीं, हाँ उसका बोर्ड जरूर आपको मिल जाएगा। क्योंकि अधिकांश सेंटर तो घर से हीं चलता है, घर पर बोर्ड टांग दिया सेंटर हो गया।
तो इस तरह देश से बेरोजगारी ऐसे मिटाया जा रहा है।
#कौशल_विकास #बेरोजगारी #एनजीओ #प्रधानमंत्री

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