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कितने नीच लोग हैं ये, जो अपराधी रोहिंग्या मुसलमानों की तुलना शांति के मसीहा दलाईलामा से करते हैं।

अरे नीच इंसान दलाईलामा और उनके साथ आए बौद्धों ने किसी चीनी का बलात्कार और उसके स्तन काटकर भारत में शरण नहीं लिया है। चीनी क्रूर, विस्तारवादी, साम्राज्य वादी शासकों के अत्याचारों से पिड़ित होकर हिंदुस्तान में शरण लिया है। जबकि रोहिंग्या मुसलमान ने बर्मा में हत्या, अपराध, बलात्कार से बौद्धों को त्रस्त कर रखा था उसे अपनी अपराधी मानसिकता के कारण बर्मा छोड़ना पड़ा है। रोहिंग्याई पिड़ित नहीं, अपराधी है।

60 सालों में कितने बौद्ध शरनार्थियों ने भारत में आतंकवादी वारदात किया है? एक भी नहीं। लेकिन ये घुसपैठिया रोहिंग्या अपराधी दो साल में हीं भारत में आतंकवादी मॉड्यूल तैयार कर लिया और घटनाओं को अंजाम देने लगा है।

इसलिए हे नीच-कमीनों, दलाईलामा का नाम बदनाम ना करो।

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