नोटबंदी का जमकर दुरुपयोग करनेवाले गोल्ड इम्पोर्टर, आज भी हैं सलाखों से बाहरः
#नोटबंदी
जिस कंपनी ने पूरे साल भर में 5 किलो गोल्ड नहीं खरीदा, उसने भी नोटबंदी की छोटी अवधि में 500 किलो तक गोल्ड बट्टे पर लिए पुराने नोट बैंक में जमाकर सरकारी संस्थान से खरीदा। और कालाधन पर बड़ा प्रहार करनेवाला ये सरकार आजतक उसका कुछ नहीं कर पाया।
जिस कंपनी ने पूरे साल भर में 5 किलो गोल्ड नहीं खरीदा, उसने भी नोटबंदी की छोटी अवधि में 500 किलो तक गोल्ड बट्टे पर लिए पुराने नोट बैंक में जमाकर सरकारी संस्थान से खरीदा। और कालाधन पर बड़ा प्रहार करनेवाला ये सरकार आजतक उसका कुछ नहीं कर पाया।
दिल्ली सहित पूरे भारत में गोल्ड इम्पोर्टरों ने नोटबंदी में जमकर लूट मचाया, और ये सरकार आजतक किसीका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। जबकि इनलोगों की चोरी बिलकुल आइडेंटीफाई था। बट्टे पर पुराना नोट खरीदा, उसे बैंक में जमा किया, एनईएफटी/आरटीजीएस द्वारा फंड गोल्ड बेचने वाले सरकारी संस्थान एमएमटीसी/ एसटीसी/पीएसी को ट्रांसफर किया और इससे गोल्ड लेकर जिसने पुराना नोट दिया था उसे थमा दिया।
जहां पैसा जमा किया वो बैंक आइडेंटिफाई है, और जहाँ से गोल्ड परचेज किया वो भी आइडेंटिफाई है फिर भी सरकार का उन धनपशुओं के खिलाफ कुछ भी नहीं कर पाना बताता है नोटबंदी का मूल उद्देश्य कालाधन वालों को पकड़ना, उसे जेल में डालना, उसे सजा देना नहीं था। यदि ऐसा होता तो ये सारे धनपशु अभी जेल में होते और सरकार छाती चौड़ी कर इसे अपनी उपलब्धि बताता।
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