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#TARAPURSHAHIDDIVAS क्या अब शहीदों को सम्मान दिलाने के लिए भी आंदोलन करने पड़ते है? जब शहीदों को सम्मान दिलाने के लिए आंदोलन करना पड़े तो समझ जाना चाहिए हमने कैसा तंत्र बनाया है।

#TARAPURSHAHIDDIVAS  प्रश्न तो बनता है जब शहीदों के सम्मान के लिए भी आंदोलन करना पड़ता है।  सरकार का स्वतः दायित्व होना चाहिए की नागरिको को अपने शहीदों के सम्मान हेतु लंबा आंदोलन नहीं चलाना पड़े।  समाज द्वारा ऐसी घटनाओं को सरकार के नजर में लाने के बाद उसे शीघ्र कार्यान्वित करने का जज्बा सिस्टम में होना चाहिए।

जी बात कर रहा हूँ तारापुर के शहीदों का, देशभक्ति के जूनून ने उन्हें 15  फरबरी 1932 को अंग्रेजों के थाने पर तिरंगा फहराने के कारन शहीद होना पड़ा।  अंग्रेजों ने मुंगेर जिले के तारापुर में "34" मां भारती के लालों  को इसलिए शहीद कर दिया की उन्होंने अंग्रेजों के थाने पर अपना झंडा फहराने का क्रन्तिकारी कदम उठाया।

भाजपा युवा मोर्चा के लोकप्रिय नेता श्री जयराम विप्लव के नेतृत्व में इस शहीद स्थल को राष्ट्रिय धरोहर घोषित करने के लिए वर्षों से आंदोलन चल रहा है।  राज्य सरकार  से लेकर केंद्र सरकार तक को ज्ञापन दिया जा चूका है।  परंतु शासन की उपेक्षा के कारन "तारापुर थाना भवन" अभी तक राष्ट्रिय धरोहर घोषित नहीं हुआ है।

वर्तमान केंद्र सरकार और उसके संस्कृति मंत्री से वहां की जनता को उम्मीद है, इस शहीद दिवस  "15  फरबरी" को उस स्मारक स्थल को राष्ट्रिय धरोहर घोषित कर अपने शहीदों का सम्मान करे।












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