ईसाई साम्राज्यवाद से सावधान : हिन्दू-मुसलमानो को लड़ाकर देश को तोड़ने की साजिश रचा जा रहा है।
ईसाई साम्राज्यवाद से सावधान : हिन्दू-मुसलमानो को लड़ाकर देश को तोड़ने की साजिश रचा जा रहा है।
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जेएनयू के देशद्रोह ने एक बातें स्पष्ट कर दिया, मुसलमानों के कंधे पर बन्दुक रखकर ईसाई साम्राज्यवाद अपनी लड़ाई लड़ रहा है।
जेएनयू कांड भले ही आतंकी अफजल की आड़ लेकर लड़ा जा रहा हो, लेकिन इसके समर्थन में एक भी मुस्लिम समुदाय और उसका संगठन आगे नहीं आया और ना ही मुस्लिम वोटो के हितैषी पार्टियां ही आगे आया है। किसी ने भी देशद्रोह को डिफेंड नहीं किया है।
देशद्रोह को डिफेंड करने के लिए ईसाई मिशनरीज के हुक्म पर चलने वाले तीन पार्टियां बामपंथी-कांग्रेस-आआपा ही सामने आया है। ईसाई साम्राज्यवाद भारतीय सत्ता पर अपनी कमजोर पकड़ से बौखलाया हुआ है। जबसे मोदी सरकार आया है, वे अपनी काम उतनी स्वतंत्रता से नहीं कर पा रह है जीतनी स्वतंत्रता से कांग्रेसी राज में कर पाता था। धर्मान्तरण के लिए विदेशी फंड आना काम हो गया है, जो फंड जिस काम केलिए मंगाया जा रहा है वाही उपयोग हो रहा है या नहीं इसकी अब ऑडिट होने लगा है।
इसी से बौखला कर ईसाई मिशनरियां अपने भारतीय एजेंटों के माध्यम से इस्लामिक बुर्के में छुपकर देश में अराजकता-आतंक का माहौल कायम कर रहा है। और बदनाम मुस्लिम समुदाय को कर रहा है। मुसलमानो को उकसा कर हिन्दुओ और देश के खिलाफ करने का षड्यंत्र कर रहा है, जिससे ये अपना उल्लू सीधा करता रहे।
देश के हिन्दू और मुसलमान दोनों को इस षड्यंत्र से सावधान हो जाना चाहिए और बुर्के में छुपे असल दुश्मन को पहचान कर उसके षड्यंत्रकारी मंसूबों नेस्तनाबूत कर देना चाहिए।
ईसाई साम्राज्यवाद अपनी इन्हीं मंसूबो को पूरा करने के लिए अपने अनेक टूल्स का उपयोग करता है। कभी राजनितिक दल को तो कभी सामाजिक संस्था को तो कभी मानवाधिकार संस्था को वैचारिक-धार्मिक प्रदुषण फ़ैलाने के लिए। अमेरिका-ब्रिटेन आदि अपने धार्मिक आयोग को इसी तरह दुरूपयोग करता है, दूसरे आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए। अमेरिका प्रत्येक वर्ष अपने धार्मिक आयोग का रिपोर्ट सार्वजनिक करता है और बताता है भारत में अल्पसंख्यंकों को धार्मिक आजादी नहीं है। केवल इसलिए की ईसाई मिशनरियां निर्वाध धर्मान्तरण का खेल खेलता रहे।
और सबसे बड़ा आश्चर्य इस घृणित कुकर्म में मिडिया का साथ देना। भारत में वर्षों से धर्मान्तरण का खेल चल रहा है, सारे राज्यों में जनसांख्यिकी परिवर्तन साफ दृष्टिगोचर हो रहा है। लेकिन मिडिया इस पर चुप्पी साध लेता है, लेकिन जब इन्ही धर्मान्तरित बंधुओं में से कुछ घरवापसी करते है तो मिडिया चिल्ल-पों मचाना शुरू कर देता है। मिडिया इस खेल में इतना पारंगत हो चूका है की आप यदि इस षड्यंत्र के खिलाफ आवाज उठाएंगे तो आपको ही आरोपी बनाकर कटघरे में खड़ा कर देगा। तो क्या हमारा मिडिया भी ईसाई साम्राज्यवाद का टूल्स चूका है ? क्या मिडिया ईसाई मिशनरियों के पे रोल पर काम कर रहा है ?
कुकर्म तो कोई और कर रहा है, "नाहक ही हिन्दू और मुसलमान बदनाम हो रहा है"।
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जेएनयू के देशद्रोह ने एक बातें स्पष्ट कर दिया, मुसलमानों के कंधे पर बन्दुक रखकर ईसाई साम्राज्यवाद अपनी लड़ाई लड़ रहा है।
जेएनयू कांड भले ही आतंकी अफजल की आड़ लेकर लड़ा जा रहा हो, लेकिन इसके समर्थन में एक भी मुस्लिम समुदाय और उसका संगठन आगे नहीं आया और ना ही मुस्लिम वोटो के हितैषी पार्टियां ही आगे आया है। किसी ने भी देशद्रोह को डिफेंड नहीं किया है।
देशद्रोह को डिफेंड करने के लिए ईसाई मिशनरीज के हुक्म पर चलने वाले तीन पार्टियां बामपंथी-कांग्रेस-आआपा ही सामने आया है। ईसाई साम्राज्यवाद भारतीय सत्ता पर अपनी कमजोर पकड़ से बौखलाया हुआ है। जबसे मोदी सरकार आया है, वे अपनी काम उतनी स्वतंत्रता से नहीं कर पा रह है जीतनी स्वतंत्रता से कांग्रेसी राज में कर पाता था। धर्मान्तरण के लिए विदेशी फंड आना काम हो गया है, जो फंड जिस काम केलिए मंगाया जा रहा है वाही उपयोग हो रहा है या नहीं इसकी अब ऑडिट होने लगा है।
इसी से बौखला कर ईसाई मिशनरियां अपने भारतीय एजेंटों के माध्यम से इस्लामिक बुर्के में छुपकर देश में अराजकता-आतंक का माहौल कायम कर रहा है। और बदनाम मुस्लिम समुदाय को कर रहा है। मुसलमानो को उकसा कर हिन्दुओ और देश के खिलाफ करने का षड्यंत्र कर रहा है, जिससे ये अपना उल्लू सीधा करता रहे।
देश के हिन्दू और मुसलमान दोनों को इस षड्यंत्र से सावधान हो जाना चाहिए और बुर्के में छुपे असल दुश्मन को पहचान कर उसके षड्यंत्रकारी मंसूबों नेस्तनाबूत कर देना चाहिए।
ईसाई साम्राज्यवाद अपनी इन्हीं मंसूबो को पूरा करने के लिए अपने अनेक टूल्स का उपयोग करता है। कभी राजनितिक दल को तो कभी सामाजिक संस्था को तो कभी मानवाधिकार संस्था को वैचारिक-धार्मिक प्रदुषण फ़ैलाने के लिए। अमेरिका-ब्रिटेन आदि अपने धार्मिक आयोग को इसी तरह दुरूपयोग करता है, दूसरे आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए। अमेरिका प्रत्येक वर्ष अपने धार्मिक आयोग का रिपोर्ट सार्वजनिक करता है और बताता है भारत में अल्पसंख्यंकों को धार्मिक आजादी नहीं है। केवल इसलिए की ईसाई मिशनरियां निर्वाध धर्मान्तरण का खेल खेलता रहे।
और सबसे बड़ा आश्चर्य इस घृणित कुकर्म में मिडिया का साथ देना। भारत में वर्षों से धर्मान्तरण का खेल चल रहा है, सारे राज्यों में जनसांख्यिकी परिवर्तन साफ दृष्टिगोचर हो रहा है। लेकिन मिडिया इस पर चुप्पी साध लेता है, लेकिन जब इन्ही धर्मान्तरित बंधुओं में से कुछ घरवापसी करते है तो मिडिया चिल्ल-पों मचाना शुरू कर देता है। मिडिया इस खेल में इतना पारंगत हो चूका है की आप यदि इस षड्यंत्र के खिलाफ आवाज उठाएंगे तो आपको ही आरोपी बनाकर कटघरे में खड़ा कर देगा। तो क्या हमारा मिडिया भी ईसाई साम्राज्यवाद का टूल्स चूका है ? क्या मिडिया ईसाई मिशनरियों के पे रोल पर काम कर रहा है ?
कुकर्म तो कोई और कर रहा है, "नाहक ही हिन्दू और मुसलमान बदनाम हो रहा है"।
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