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ईसाईवाद के दुराग्रह में फंसा कांग्रेस पार्टी।

कांग्रेस की बागडोर सोनिया गांधी के पास जाने के बाद कांग्रेस पार्टी का ईसाईकरण बहुत ही तीब्र गति से हुआ। 10 वर्षों के इन कांग्रेसी शासन में सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी का ही नहीं भारत के जितने भी लोकतान्त्रिक स्तम्भ है सबका इसाईकरण किया। कांग्रेस पार्टी में आबादी से कई गुना ज्यादा पद ईसाइयो को आबंटित किया। मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में भी अनुपातिक रूप से ज्यादा पद ईसाईयों को दिया गया। उसमे भी जो सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय था उसे ईसाईयों को दिया। केरल से लेकर अरुणाचल तक मुख्यमंत्री के रूप में ईसाईयों को तरजीह दिया। हिन्दुओ को वही मंत्रिपद या मुख्यमंत्री पद मिला जहाँ इसे ईसाई विकल्प नहीं मिला। अफसरशाही से लेकर मिडिया तक में ईसाई लॉबी को आगे बढ़ाया गया। भारत में धर्मान्तरण के लिए ईसाई एनजीओ को विदेशों से नियम-कानून को तोड़कर पैसा लेने की छूट मिला। जिसकी ना तो कोई जाँच ना ही कोई ऑडिट होने दिया गया। 

हिन्दू और मुसलमान सोनिया गांधी के लिए वोट लेने के औजार भर रह गए। आज के कांग्रेस पार्टी और एमआईएम में कोई अंतर नहीं रह गया है। वैश्विक ईसाईवाद के पैसे पर चलने वाले मिडिया ने भी इस कुकर्म में सोनिया गांधी का भरपूर साथ दिया। जिसने भी सोनिया गांधी के इस कुकर्म का भांडा फोड़ना चाहा मिडिया ने उसे सांप्रदायिक करार देकर उसका मुंह बंद कर दिया। ईसाईवाद भारत में निर्बिरोध चलते रहे इसके लिए मिडिया मोदी सरकार और संघ पर टार्गेटेड हमला करता आ रहा है। हर घटना के लिए दोषी मोदी और संघ को ठहराया जा रहा है। और ये षड्यंत्र इतना सूक्ष्म है की मूल षड्यंत्रकारी कही दिखाई नहीं दे रहा है। हाल के रोहित बेमुला की आत्महत्या हो या जेएनयू में लगे देशद्रोही नारे हो, मूल तथ्यों को चर्चा से गायब करना और उसके जगह पर एक नया कहानी प्लांट कर देना उसी षड्यंत्र का एक हिस्सा है।  

जब भी देश में धर्मांतरण पर बहस होता है, कांग्रेस पार्टी और मिडिया उसके पक्ष में खड़ा हो जाता है और जब घर-वापसी की बाते होता है तो बिरोध में खड़ा हो जाता है। अब ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है की धर्मांतरण का बेनिफिसरी ईसाई समुदाय है जिस कारन कांग्रेस और मिडिया इसके पक्ष में खड़ा हो जाता है। और जब संघ उन परावर्तित अपने भाइयों को मूल धर्म में वापस लाने के लिए घर-वापसी का प्रयास करता है तब यही कांग्रेस और मिडिया इसके बिरोध में खड़ा हो जाता है। सबसे खतरनाक है भारत में चल रहे इस षड्यंत्र में बामपंथी पार्टियां भी कांग्रेस साथ दे रहा है।  

आज स्थिति यहाँ तक पहुँच चूका है कंग्रेस पार्टी के नेता सार्वजानिक रूप से अपने आपको हिन्दू कहलाने से डरते है। अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के दो बड़े हिन्दू नेताओं ने कहाँ मैं हिन्दू नहीं हू। हिन्दू कुछ नहीं होता है यह संघियो का बनाया हुआ शब्द है। दिग्विजय सिंह और मनीष तिवारी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता है बड़े नाम है इन दोनों ने जब सार्वजानिक रूप से ऐसा बयान दिया तो समझा जा सकता है कांग्रेस पार्टी किस दिशा में जा रहा है और क्यों जा रहा है। सेकुलरिज्म से बढ़ते हुए आज हिन्दू पहचान को नकारने तक कांग्रेस पार्टी पहुँच चूका है तो कही ना कही अपने शीर्ष नेतृत्व की चाटुकारिता भी एक बहुत बड़ा कारन होगा। और शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी बताता है की वे अपने नेताओं से क्या चाहते है।

बड़ी चालाकी से ईसाई मिशनरियों ने बामपंथियों को मानवाधिकार के नाम पर मोटा पैसा देकर उन्हें अपने पाले में कर लिया है। आमजन तो आज भी कांग्रेस पार्टी को गांधी-नेहरू की पार्टी समझ रहे है। लेकिन सोनिया राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी का पूरी तरह से गांधी-नेहरू के बिरासत से कट चूका है, पार्टी का इसाईकरण हो चूका है। चूँकि मिडिया घराने में भी मिशनरियों का अकूत पैसा लगा हुआ है इसलिए मिडिया भी जनता से सच छुपा कर देश की आँखों में धुल झोंक रहा है।


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