# एग्ज़िट पोल गुजरात चुनाव एक निष्कर्ष : हार्दिक ने कांग्रेस की नैया डूबोया?
एक प्रश्न कांग्रेस पार्टी की ओर से बार बार उठाया जा रहा है, हार्दिक पटेल की सभा में लाखों लोग आते थे। पटेलों में भाजपा के खिलाफ आरक्षण को लेकर बहुत नाराजगी था, फिर भाजपा कैसे चुनाव जीत रहा है?
कांग्रेस की दोनों बातें सही है, हार्दिक की सभा और रोड शो में अपार भीड़ जुटता था। इस भीड़ को देखकर कोई भी सामान्य समझ का व्यक्ति ऐसा हीं अनुमान लगाएगा। अब हार्दिक की सभा में जुट रहे भीड़ का पोस्टमार्टम करेंगे तो आसानी से समझ में आ जाएगा हार्दिक का ये भीड़ वोट में तब्दील क्यों नहीं हो पाया।
गुजरात का पटेल समुदाय भाजपा का कोर वोटर रहा है। वर्तमान आरक्षण व्यवस्था से पटेलों की नाराजगी है। और ये नाराजगी लगभग भारत में सभी उन जातियों में है जो इस आरक्षण का लाभार्थी नहीं है।अब वर्तमान आरक्षण के खिलाफ और अपने लिए आरक्षण की मांग को लेकर पटेलों ने बड़ा आंदोलन खड़ा किया हार्दिक पटेल उस आंदोलन से एक बड़े नेता बनकर निकले।
हार्दिक ने अपने भीड़ में शामिल लोगों के राजनीतिक चरित्र के विपरीत कांग्रेस पार्टी से समझौता कर लिया। जो भीड़ वर्तमान आरक्षण के खिलाफ था हार्दिक और कांग्रेस ने उसे भाजपा के खिलाफ समझ लिया। पटेलों का सरकार से नाराजगी को भाजपा के खिलाफ नाराजगी समझ लिया। यही कांग्रेस और उसके समर्थक चुनावी पंडितों का भयंकर भूल हुआ। जब वोट देने की बारी आई तो पटेल अपने जड़ की ओर मुड़ गए और कांग्रेस के बदले भाजपा के पक्ष में वोट दे दिया।
हार्दिक का जो एक और साइड इफेक्ट कांग्रेस को भुगतना पड़ा वो था पिछड़ों का कांग्रेस के खिलाफ हो जाना। हार्दिक जितना अपना कद और अपना भीड़ बड़ा करता जा रहा था, पिछड़ों में उसके खिलाफ उतना हीं गुस्सा बढता जा रहा था। पिछड़ों को लग रहा था हार्दिक उसे मिल रहे आरक्षण पर डाका डालेगा।
हार्दिक का कांग्रेस से हाथ मिलाने के कारण कांग्रेस समर्थक पिछड़े भी कांग्रेस का साथ छोड़ गए। इस तरह हार्दिक के कारण कांग्रेस को दोहरी मार पड़ी, पटेल तो साथ नहीं आया और साथ खड़े पिछड़े भी दूर हो गए।
और इस तरह कांग्रेस को फिर से एक बार गुजरात में भाड़ी पराजय देखना पड़ा रहा है।
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