गुजरात चुनाव एक निष्कर्ष : जब नाराजगी के बावजूद मुसलमान कांग्रेस को वोट दे सकता है तो नाराजगी के बावजूद हिंदू भाजपा को वोट क्यों नहीं दे सकता है?
गुजरात चुनाव के एग्जिट पोल को देख कर लग रहा है, अब हिंदुओं ने भी रणनीतिक वोटिंग करना शुरू कर दिया है। क्या देश के मिडिया और राजनीतिक पंडित ने कभी मुसलमानों को देखा है, कांग्रेस, सपा, बसपा आदि सेकुलर पार्टियों से नाराज होकर भाजपा को वोट देते हुए? क्या मुसलमान सेकुलर राज में कभी बेरोजगारी, मंहगाई, अशिक्षा, स्वास्थ्य आदि से परेशान नहीं रहा? तो क्यों नहीं सेकुलर पार्टियों से नाराज मुसलमान भाजपा को वोट देता रहा है?
फिर कैसे कांग्रेस और सेकुलर मिडिया आशान्वित था की मंहगाई, बेरोजगारी आदि से नाराज हिंदू भाजपा को वोट नहीं देगा, कांग्रेस को वोट दे देगा?
जब तक वोट देने के इस मनोविज्ञान के नहीं समझेंगे गुजरात चुनाव के सही निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकते।
सड़ांध मारते हुए सेकुलरिज्म ने हिंदू मानस को अब बदल दिया है। वो सेकुलरों के डिवाइड एंड रूल पोल्टिक्स को अब समझने लगा है। कौन उसका अपना है और कौन पराया है इसको भी समझने लगा है। अब हिंदू भी टार्गेटेड वोटिंग करने लगा है। एकजुट हिंदू भाजपा के लिए हीं नहीं, देश के लिए भी अच्छा है।
हिंदुओं ने समझ लिया कांग्रेस आकर क्या मंहगाई, बेरोजगारी को दूर कर सकता है? जब कांग्रेस भी मंहगाई और बेरोजगारी को दूर नहीं कर सकता तो फिर लाख नाराजगी के बावजूद क्यों एक हिंदू विरोधी पार्टी को वे अपना वोट दे? एग्जिट पोल में भाजपा की गुजरात में भारी जीत हिंदुओं के मानस में हो रहे इस परिवर्तन को परिलक्षित करता है।
अब चुनावी पंडितों को हिंदुओं के मन में पल रहे सेकुलरों के प्रति घृणा को अपने अध्ययन में शामिल करना चाहिए तभी वो चुनावी परिणाम के सही निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं।
No comments: