क्या गुजरात का चुनाव धीरे-धीरे बिहार चुनाव के दशा-दिशा की ओर बढ रहा है?
गुजरात चुनाव बहुत हीं रोचक स्थिति में पहुँच गया है। साल भर पहले हमलोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे, भाजपा को गुजरात में जीत के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस ने अपने रणनीति का ऐसा दांव बिछाया, आज भाजपा छटपटा रहा है। हमेशा फ्रंटफुट पर खेलकर विजयी होने वाली भाजपा आज बैकफुट पर खेलने को विवश है।
बिहार चुनाव में भी चुनाव से पहले भाजपा आसानी से जीतता दिख रहा था लेकिन चुनाव आते-आते लालू-नितीश-कांग्रेस के गठबंधन ने ऐसी व्यूह की रचना किया, पूरे चुनाव में भाजपा हांफता हुआ दिखा। पूरे चुनाव में भाजपा बचाव की मुद्रा में दिखा। विपक्षियों के सवालों का जवाब देते-देते चुनाव बीत गया, भाजपा कभी फ्रंटफुट पर खेल नहीं पाया। परिणाम हम सबके सामने रहा, एक आसान सा जीता हुआ चुनाव भाजपा हार गया।
अभी गुजरात के चुनाव में भी भाजपा का गत बिहार वाला हीं दीख रहा है। भाजपा अभी तक बचाव की मुद्रा में हीं दिख रहा है। पुरा चुनावी पहल कांग्रेस और राहुल गाँधी के हाथों में दिख रहा है। मुद्दों का निर्धारण कांग्रेस कर रहा है, भाजपा उन मुद्दों पर रक्षात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है। कहीं से भी 2014 वाली आक्रामक भाजपा का दर्शन नहीं हो रहा है, जिसके बनाए घेरे में कांग्रेस उलझ कर रह गया था। भाजपा को यदि गुजरात चुनाव जीतना है तो उसे सामाजिक और राजनीतिक मोर्चों पर फ्रंटफुट पर खेलना होगा। जिस दल के पास लाखों समर्पित कार्यकर्ताओं की दक्ष टोली हो, उसे हांफते हुए चुनाव लड़ना शोभा नहीं देता। नेतृत्व हीं जब हांफने लगेगा तो फिर कार्यकर्ताओं का शिथिल पर जाना स्वभाविक है।
संगठनहीन और मृतप्राय कांग्रेस केवल कुशल रणनीति के बदौलत आज गुजरात चुनाव में केंद्रक की भूमिका में कैसे आ चुका है, भाजपा नेतृत्व को तत्काल इस पर विचार करना होगा, इसकी काट प्रस्तुत करना होगा। कल तक जिसे सारा देश पप्पू समझता था, आज चुनावी पहल उसके हाथों में है। और इस मौके को राहुल गाँधी ने जिस दक्षता से उपयोग किया है, वह काबिलेतारीफ है। राहुल गांधी ने दिखा दिया है, एक मृत संगठन को कैसे कुशल रणनीति, मेहनत और नेतृत्वक्षमता के बदौलत जीवीत संगठन बनाया जा सकता है, जीतने का भरोसा पैदा किया जा सकता है।
अभी भी मौका है बिहार चुनाव से सीख लेकर भाजपा अपने रणनीति को सुदृढ़ करे, कार्यकर्ताओं को साथ लेकर आक्रामक चुनावी अभियान छेड़े, बैकफुट पर खेलना छोड़े फ्रंटफुट पर खेले, जीत उसके हाथों में होगा।
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