तब राष्ट्रवाद की गूंज चहुँ ओर सुनाई देगा और जोर-जोर से सुनाई देगा। ===================================
#नरेन्द्र_मोदी #राष्ट्रवाद
हम में से बहुतों के मन में एक प्रश्न बार-बार उठता है, पूर्ण बहुमत और लगभग शून्य विपक्ष होने के बाद भी नरेंद्र मोदी का
जो धमक देश में सुनाई देना चाहिए, परिवर्तन की जो
लहर गुंजायमान होना चाहिए वो ना तो दिखाई पड़ रहा है और ना ही सुनाई दे रहा है।
पूर्ण बहुमत के बाद भी वो कौन सी ब्रेकर है, जो परिवर्तन की गाड़ी को सरपट दौड़ने से रोक रहा है ?
आश्चर्य लगेगा ये सब तब हो रहा है जब मोदी जी और उनके मंत्रिमंडलीय
सहयोगी अनेकों ऐसे काम किए है जो आजतक किसी सरकार ने नहीं किया। देश से विदेश तक
जिसने एक काम करने वाली, तुरंत डिसीजन लेने वाली सरकार का
छवि बनाया। दो साल में जिस सरकार पर एक भी घोटाले का आरोप तक नहीं है। इतने काम के
बाद भी, मोदी स्टाईल में देश दौड़ नहीं रहा
है या दौड़ रहा है तो दौड़ता हुआ दिख नहीं
रहा है, उसके कारण क्या है ?
हमें एक बात समझना होगा, अपना लोकतंत्र चार खंभों पर खड़ा है :
विधायिका-कार्यपालिका-न्यायपालिका और प्रेस। बदलाव सिर्फ एक जगह हुआ है, विधायिका में। बांकी जगह कोई बदलाव नहीं हुआ है। अफसरशाही वही, न्यायपालिका वही है और प्रेस भी वही है। एक बात गौर करेंगे, इन तीनों जगह लगभग अभी भी नेहरूवादी सोच के लोगों का कब्ज़ा है। जो आज भी नेहरू में भगवान की छवि देखते है और
नेहरू खानदान आज भी उनके लिए आदर्श है। कोई भी बदलाव इन नेहरू भक्तों को अपने भगवान
पर हमला दिखता है। इसलिए ये लोग मोदी सरकार के हर अच्छे कामों को अच्छे समझते हुए भी उसे सकारात्मक
ढंग से ना तो लेते है और ना ही निचे तक उसे पहुंचाते है। अब ये 60-70 सालों से जो लोग इस व्यवस्था में जमे हुए है उनका तो परिवर्तन किसी
इलेक्शन के हार-जीत से होता नहीं है। उसमे बदलाव की प्रक्रिया बहुत ही धीमा होता
है, जैसे पुरानी पीढ़ी अवकाश लेंगे और
उनके बदले जो नया पीढ़ी आएगा वो एक नई उर्जा-नई सोच को लेकर आएगा।
हम जिस पूर्ण बदलाव की आशा कर रहे है, वो तभी आएगा जब लोकतंत्र के चारों पहरुओं में राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत लोगों का बहुमत होगा। जैसे पहले कांग्रेसी विचारधारा के लोगों का सभी जगहों पर कब्ज़ा था तो उनकी आवाज चारों दिशाओं में गुंजायमान होता रहता था। क्योंकि सभी लोग लगभग एक ही विचार-परिवार से थे। कांग्रेस पार्टी के ही नेतृत्व में देश को आजादी मिला था, देश का नया ढांचा कांग्रेस पार्टी द्वारा रख गया था इसलिए स्वाभाविक था विधायिका से लेकर प्रेस तक कांग्रेसी विचार के लोग समायोजित हुए थे।
ऐसा भी नहीं है इसमें परिवर्तन नहीं होगा, परिवर्तन की शुरुआत तो मोदी सरकार बनते ही हो गया है। राष्ट्र जीवन कोई चार दिन का होता नहीं है, आज लोकतंत्र के एक शाखा ने राष्ट्रवादी धारा को मजबूती से अपनाया है। इसी तरह क्रमिक रूप से कल दूसरी शाखा फिर तीसरी और चौथी शाखा भी अपनाएंगे। तब राष्ट्रवाद की गूंज चहुँ ओर सुनाई देगा और जोर-जोर से सुनाई देगा।
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