ये बाल शिक्षा नहीं बाल अपराध है। ======================
3 साल के मासूम बच्चों को स्कूल भेजना, क्या बाल अपराध नहीं है ?
3 साल के बच्चे को स्कूल भेजकर हम किसका भला कर रहे है, बच्चे का ?
शिक्षा का या स्कूल का ?
क्यों नहीं 5 वर्ष होने के बाद हम बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला
कराते है, क्यों हम नर्सरी यूकेजी आदि में डालकर मासूमों के मासूमियत का क़त्ल करते
है ?
आखिर इससे मिल क्या रहा है, कुछ स्कूल मालिकों को धन्नासेठ बनाकर और
हमें क्या हासिल हो रहा है ?
नर्सरी से लेकर केजी तक की शिक्षा का बच्चों के लिए क्या उपादेयता है
? इतने छोटे उम्र में बच्चों में अबोधपन ही रहता है। और 5 साल तक के लिए जितनी शिक्षा
की आवश्यकता है वो बच्चे अपने परिवार में प्राप्त कर लेता है। 5 साल से पहले बच्चे
को स्कूल भेजना और जन्म लेते बच्चे को माँ का स्तन छुड़वा देना दोनों समान है। हम और
हमारा सिस्टम यही अपराध बच्चों के साथ कर रहा है। वो कुछ बोल नहीं सकता, प्रतिवाद नहीं
कर सकता इसलिए हम भी उसे टूल्स मान अपनी अपनी इच्छाओं के बोझ तले दबाते जा रहे है।
मेरे घर के सामने ही एक स्कूल है, स्कूल की शिक्षिका एक 3 साल के बच्चे की माँ को डांट रही थी,"कल से 8 बजे बच्चे को लाएंगे तो ठीक है नहीं तो स्कूल में इंट्री नहीं मिलेगा"।
बच्चे की माँ वहां टीचर से हल्का प्रतिवाद किया लेकिन टीचर भी अपने
प्रिंसपल/मैनेजमेंट के आदेशों से बंधी थी कोई हल नहीं निकला।
आगे हम तिन-चार लोग खड़े थे, पूछ लिया क्या हो गया ? उनका अन्दर का गुस्सा
फट पड़ा, बोली बताइए छोटी बच्ची है इसको सुबह-सुबह उठाना ही मुश्किल होता है। उठते ही
तो लैट्रिन नहीं चली जाएगी, आज जब स्कुल के लिए निकली तो बोली मुझे लैट्रिन जाना है।
अब बताइए क्या उसे बिना लैट्रिन कराए स्कूल ले जाऊं ? फिर वापस लाकर उसे लैट्रिन कराया
फिर स्कूल लाया उसी में देर हो गया। इसी बात पर मैडम डांटने लगी मुझे।
इस नन्ही सी बच्ची को देखकर हमलोग भी द्रवित हो गए अभी जब इस बच्ची
को अपनी माँ का गोद चाहिए तब हम उस पर अनुशासन का डंडा चला कर उसकी मासूमियत का हत्या
नहीं कर रहे है ? अरे कम से कम बच्चे को 5 साल का तो होने दीजिए, जब बच्चे नित्यक्रिया
लायक हो जाएं तब उसे स्कूल में दाखिला कराइए। क्यों धन्नासेठों का तिजोरी भरने के लिए
बच्चों से उसकी मासूमियत छीन रहे है।
ये बाल शिक्षा नहीं, बाल अपराध है।
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