दिल्ली वालों के स्वास्थ्य के साथ करता खिलवाड़, केजरीवाल सरकार।
यह दिल्ली है, यहाँ ज्ञान पर भी पाबंदी लगा हुआ है। जिस हॉस्पिटल "चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान" की साख दिल्ली में "दूसरे
एम्स" की तरह था उसे "केजरीवाल" ने मोहल्ला क्लिनिक से भी
बदतर बना दिया। आपने कभी सोचा होगा कोई सरकार डॉक्टर को 10 दवाओं का लिस्ट
देकर कहे, सभी बिमारियों का इलाज इसी लिस्ट में लिखे दवाओं से करना है? ये केवल
चिकित्सकीय ही नहीं है बल्कि ज्ञान पर पाबन्दी भी है।
जी हाँ कथित आम आदमी सरकार के मुखिया अरबिंद
केजरीवाल ने डॉक्टरों पर अघोषित रूप से ऐसा पाबंदी लगा रखा है, हॉस्पिटल
में जो दवा उपलब्ध हो पैसेंट को केवल वही दवा लिखें। यदि डॉक्टर बाहर की कोई
दवा लिखता है, तो डॉक्टरों पर कारबाई का डर दिखाया जाता है। परिणाम ईलाज के नाम पर
इलाज की खानापूर्ति हो रहा है, रोगी के जिंदगी से खिलबाड़ किया जा रहा है। यदि
डॉक्टर आपके जान-पहचान का है तो वो सादी पर्ची पर अलग से दवा लिख देगा बाजार से ले
लेने के लिए, लेकिन यदि डॉक्टर आपके जान-पहचान का नहीं है तो आपको बाहर के दवा
लिखने का रिस्क नहीं लेगा। हॉस्पिटल के बाहर केजरीवाल के फोटो से युक्त दिल्ली सरकार
का बहुत सारे बोर्ड दिखाई पड़ेगा,"हॉस्पिटल में आपको डॉक्टर की पर्ची पर
लिखे सारे दवा मिलेगा, यदि नहीं मिले तो मुझे एसएमएस करें"।
केजरीवाल रोगियों के जान से खिलवाड़ केवल
इसलिए कर रहा है, "पहले के सरकार में सभी दवा हॉस्पिटल से मुफ्त नहीं मिलते
थे, आज मुफ्त मिल रहा है"। झूठे की छवि चमकाने के लिए जनता के साथ इतना बड़ा
अपराध केजरीवाल कर रहा है, लेकिन मिडिया से लेकर स्वयंसेवी संगठन और राजनितिक दल
तक को इसकी चिंता नहीं है।
इसका भान मुझे तब हुआ जब मैं इस
व्यवस्था का खुद शिकार बना। अभी 15 दिन पहले मुझे बहुत तेज सर्दी-जुकाम, कफ-खांसी,
बुखार-बदन दर्द हुआ तो मैं दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक हॉस्पिटल "चौधरी
ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान" में दिखाने गया। उसने केवल एक दवा "शीतोप्लादी चूर्ण"
अपने टेबल पर रखे दवा की लिस्ट में से देखकर लिखा। मेरे आग्रह करने के बाद भी उसने
और दवा नहीं लिखा, अगले सप्ताह आने के लिए बोल दिया। फिर वहीँ काम
करने वाले एक सज्जन जान-पहचान के मिल गए, उन्हें मैंने अपना हाल और पर्ची दिखाया।
फिर उसने कहा आपको तो शीतोप्लादि चूर्ण मिल भी गया यहाँ तो सभी बिमारियों में त्रिफला
चूर्ण देकर भेज दिया जाता है। डॉक्टर बाहर की दवा लिखेंगे तो उन्हें
नॉकरी से निकाल दिया जाएगा, इसलिए डॉक्टर जरुरत होने के बावजूद बाहर की दवा नहीं
लिखते है।
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