कौन है योगी आदित्यनाथ, कैसे बने भाजपा की पहली पसंद यूपी में मुख्यमंत्री पद के लिए?
तमाम अटकलवाजी पर विराम लगाते हुए भाजपा की तरफ से आखिरकार योगी आदित्यनाथ को यूपी
का मुख्यमंत्री चुन लिया गया। कल 19 मार्च 2017 को दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर
गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया। गोरखपुर से
लगातार 1998 से लोकसभा सांसद रहे योगी आदित्यनाथ की छवि एक प्रखर हिंदुत्ववादी
नेता की रही है।
योगी आदित्यनाथ का असली नाम
अजय सिंह है। इनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पंचेर गांव में
हुआ था। योगी आदित्यनाथ का जन्म राजपूत परिवार में हुआ इनके पिता का नाम नंद सिंह
बिष्ट है। उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया है। उसी समय वे
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रखर कार्यकर्ता के रूप में काम किया। आदित्यनाथ
ने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया और गोरखनाथ
मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के सानिध्य में रहने लगे और महंत अवैद्यनाथ की
निर्वाण के बाद वो गोरखनाथ मंदिर के गोरक्षपीठाधीश्वर चुने गए। वो हिंदू युवा
वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और
राष्ट्रवादी समूह है।
हिन्दुत्व के प्रति अगाध
प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ
जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत
इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते
हुए उन्होंने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर)
में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति
आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।
योगी आदित्यनाथ ने अपनी पीठ
की परम्परा के अनुसार, पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया।
सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार
किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों
मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस
को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में
सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में
आपने सफलता प्राप्त की। उनके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव,
देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया
समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक,
राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
योगी का राजनीतिक जीवन :
गोरक्षपीठाधीश्वर महंत
अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक
उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई
है। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे
तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998
से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे
माने जाते हैं। 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने। राजनीति के मैदान में आते ही
योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का
गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते
हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत
लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी
बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक
मुकदमे भी दर्ज हुए।
अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता है यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया था। इस बार 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में सबसे ज्यादा सभा योगी का हीं हुआ। मोदी के बद सबसे ज्यादा चुनावी सभा का डिमांड योगी का हीं था।
योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्ववादी
नेता की छवि और भगवा वस्त्र संघ के हिंदूत्व के एजेंडे से मेल खाता है, लिहाजा संघ
को योगी के नाम पर मुहर लगाने में कोई दिक्कत नहीं हुआ। दरअसल बीजपी को इस बार
विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत मिला, जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगों का समर्थन
हासिल था। लिहाजा, बीजेपी की तरफ से योगी मंत्रीमंडल में सामाजिक समीकरण का पुरा
ख्याल रखा गया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं
संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण योगी को केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं
प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय,
विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन,
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की
सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में
सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से
उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप
लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री,
प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।
7
सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस
हमले में वे बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को
हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों
के दौरान तब गिरफ्तार किए गए जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक
हिन्दू युवा की जान चली गई थी। डीएम ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है, तब
अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया, लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर
जाने के लिए अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले
दिन उन्होंने शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की, लेकिन
जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता
नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। उनपर कार्यवाही का असर हुआ
और मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके
संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन
मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी और पुलिस का तबादला
हो गया।
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