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अभिव्यक्ति की आजादी की सजा कामरेडों ने मास्टर सदानंद को दोनों टाँगे काटकर दिया। *******************************************************************

असिहष्णुता और अमानवीयता का इन्तहा कर दिया कामरेडों ने, लेकिन किसी सेकुलर मिडिया ने इस पर स्टोरी करना जरूरी नहीं समझा। जनता के पत्रकार और सरोकारी पत्रकारों ने इस पैशाचिक बर्बर कामरेडी कृत्य पर कोई प्राईम टाईम नहीं किया। आजादी का नाटक खेलने वालों ने आजाद बिचार व्यक्त करने के जुर्म में एक व्यक्ति का दोनों टाँगें काटकर अभिव्यक्ति की आजादी का सजा दिया। 

जी हाँ ये पैशाचिक कृत्य केरला के बामपंथियों ने अपनी क्रूर विचारधारा को जबरदस्ती लादने के लिए अपने ही पार्टी के पूर्व कार्यकर्त्ता पर किया। जिससे कोई भी पार्टी का कार्यकर्त्ता अपनी स्वतंत्र सोच-विचार को अपना नहीं सके। 

ये मास्टर सी सदानंद है, कुन्नूर केरला के कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हुआ करते थे। लेकिन वहां इन्हे कम्युनिस्टों की असहिष्णुता-हत्या की राजनीती रास नहीं आया तो ये संघ की शाखा में जाना शुरू किया, पी परमेश्वरन जैसे विद्वानों का लिखा पढ़ने लगे। यही बातें कामरेडों को रास नहीं आया की कोई व्यक्ति मार्क्स-हीगेल को छोड़कर हेडगेवार-गोलवरकर का अनुयायी कैसे बन सकता है। फिर कामरेडों ने २५ जनवरी 1994 के रात को विचारधारा बदलने के जुर्म में सदानंद जी का दोनों पाँव काट दिया। जिससे कोई मार्क्सवादी आगे से विचारधारा बदलने की जुर्रत ना कर सके।

केरला और बंगाल में कामरेडों के जुल्म की लम्बी फेहरिस्त है, अपनी खुनी बिचारधारा को थोपने के लिए उसने इंसानो को गाजर-मूली की तरह काटा है। इस्लामिक जेहादी और मार्क्सवादी में कोई अंतर नहीं है दोनों ने अपने रसूल की शासन लादने के लिए करोड़ों इंसानों का खून बहाया है। जहाँ ये कमजोर होता है वहां ये मानवाधिकार का बुर्का ओढ़ लेता है और जहाँ बहुमत में आ जाता है वहां सदानंद जैसों का दोनों पैर काट लेता है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/assembly-elections/special-news/comrades-cut-his-legs-he-stands-in-their-way-22-years-on/articleshow/52202242.cms



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