अभी भी कांग्रेस, तथाकथित पत्रकारों के आत्मा में बसता है। *****************************************************
देश की जनता ने भले ही
कांग्रेस का साथ छोड़ दिया हो, कांग्रेस के उसकी कुकर्मों की सजा
दे दिया हो। लेकिन आप मिडिया के दरबारों को देखेंगे तो लगेगा कांग्रेस अभी भी देश
की सत्ताधारी पार्टी है। यानी देश में इतने बड़े बदलावों के बाद भी लोकतंत्र के इस
आवाज में बदलाव की कोई तस्वीर दिखाई नहीं दे रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है, जनता की इच्छा-आकांक्षाओं को
मिडिया सही से
प्रतिबिंबित नहीं कर पा रहा है। हो ये रहा है मठाधीश पत्रकार अपनी इच्छा जबरस्ती
जनता पर लादने का षड्यंत्र करते है। तो फिर इस षड्यंत्र का जवाब जनता सोशल मिडिया
से देता है। तो फिर जड़ पत्रकार अपने चैनल से लेकर अख़बार तक में इस आम जनता को
गालीबाज के रूप में निरुपित करने का दूसरा षड्यंत्र रचता है।
जनता आम पत्रकारों से
सकारात्मक पॉजिटिव न्यूज़ की आशा करता है। सूचना तथ्यातमक हो और उसकी विवेचना
आइडियोलॉजी से मुक्त निष्पक्ष हो। यहीं पर आकर पत्रकारों की विश्वसनीयता संदिग्ध
हो जाता है। अधिकांश स्थापित मठाधीश पत्रकार अपनी आइडियोलॉजी की तश्तरी में सजा कर
जनता को न्यूज़ भी देते है और व्यूज भी देते है।
ऐसे
ही पत्रकार आज मिडिया में भरे पड़े हैं जो इस बदलाव को भी संदेह और संशय की नज़रों
से देखते हैं। उनका कांग्रेसी मन यह स्वीकार करने को राजी ही नहीं है
"कांग्रेस मुक्त भारत" देश में बदलाव-परिवर्तन की स्वाभाविक प्रक्रिया
है। जनता के विवेक उसके इच्छा - आकांक्षाओं पर संदेह ना करे, परिवर्तन में सहभागी बने। जो
अपरिवर्तनीय है वही जड़ है और कोई जड़ जिन्दा समाज का आँख-कान नहीं हो सकता।
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