क्या गाँधी से भी ज्यादा उदार और सहिष्णु हैं, हमारे आज के नेता?
जब गाँधी मुसलमानों को समझा नहीं सके, उसे अपने साथ नहीं रख सके तो आज के नेता कैसे मुसलमानों को साथ रख सकते हैं, देश के साथ जोड़ कर रख सकते हैं?
देश के साथ जोड़कर रखने के लिए गांधी ने बहुत यत्न किया। मुस्लिम तुष्टीकरण की सारी सीमाओं को लांघा, फिर भी मुसलमानों ने देश की अपेक्षा इस्लाम को चूना। भारत को तोड़कर अलग पाकिस्तान का हीं निर्माण नहीं किया, गांधी के तपस्या, उनके विश्वास, श्रद्धा को चकनाचूर कर दिया।
गांधी ने मुसलमानों के खिलाफत आंदोलन को इसलिए समर्थन दिया की बदले में मुसलमान अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन में उनका साथ देगा। लेकिन मौका मिलते हीं मुसलमानों ने गांधी के विश्वास का हत्या करते हुए मजहब के नाम पर भारत के टुकड़े कर दिए।
गांधी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अपनी जान दे दिया। लेकिन मुसलमानों ने तब गांधी को सुना और ना आज सुनने को तैयार है, केरल से कश्मीर तक और बंगाल से असाम तक भारत के खिलाफ मुसलमानों का युद्ध आज भी जारी है।
राष्ट्रीय एकता की सभी परीक्षा में मुसलमान आजतक फेल होता आया है। इसको जितना जल्दी हमारे नेता समझ लें उतना हीं अच्छा है। नहीं तो बचे हुए भारत को मुसलमान एक दिन निगल जाएगा।
No comments: