हनुमान बाहुक स्तोत्र श्री तुलसीदास कृत।
सभी प्रकारों के व्याधि- बाधा दूर हो जाता है, हनुमान बाहुक स्तोत्र के पाठ करने से।
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी के बाहों में बात-व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई थी और फोड़े-फुन्सीयों के कारन सारा शरीर बेदना का स्थान सा बन गया था। औषधि, यन्त्र, मंत्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किए गए , किंतु घटने की जगह रोग दिनों दिन बढता ही जाता था।
असहनीय कष्टों से हताश होकर अन्त में उसकी निवृत्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान जी की बंदना आरंभ की। हनुमान जी की कृपा से उनकी सारी व्यथा नष्ट हो गयी।
https://youtu.be/wdpJOm7u5tU
यह वही 44 पद्यों का "हनुमान बाहुक" नामक प्रसिद्ध स्तोत्र है।
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