यदि शासन में भाजपा नहीं, तो क्या होगा?
आपको याद होगा सोनिया-राहुल गांधी अपने कार्यकाल के अंतिम समय में "लक्षित हिंसा कानून" संसद से पास कराना चाह रहा था। यह कानून हिंदुओं के खिलाफ शत्रुता का कानून है। देश में कहीं भी साम्प्रदायिक हिंसा होगा उसमें अपराधी बहुसंख्यक को माना जाएगा। आप सोच सकते हैं भारत में बहुसंख्यक कौन है? किस पर इस कानून का गाज गिरने वाला है?
उस समय सोनिया गांधी इस हिंदू द्वेषी कानून को पारित इसलिए नहीं करा सकी, क्योंकि वो चुनावी वर्ष था। अब यदि गांधी कुनबे को फिर से शासन करने का मौका मिला तो वो फिर इस कानून को लागू कर हिंदुओं को दुसरे नहीं तीसरे दर्जे का नागरिक बना देगा।
दंगा करेगा अल्पसंख्यक मुसलमान और सजा मिलेगा बहुसंख्यक हिंदुओं को। तो सोच लिजीए, भविष्य को आंक लिजीए, फिर निर्णय लिजीए भाजपा आपके लिए अच्छा है या कांग्रेस? अति उत्साह में कोई ऐसा निर्णय नहीं लें जिससे भावी पीढी को आपसे घृणा हो।
समाज तोड़ने वाले तो प्रयास करेंगे, हिंदू आपस में बंटे और देश पर इस्लाम और ईसाई का राज हो। गुजरात में ये लोग इस प्रकार की प्रयोग कर चुका है, जिसमें इसे आंशिक सफलता मिला है। राजस्थान में इसे दोहराने का प्रयास पूरे शक्ति से होगा। वहाँ इसे सफलता मिल गया तो फिर हिंदुओं को गुलाम बनने की तैयारी कर लेनी चाहिए।
अपने हीं हाथों अपना कब्र नहीं खुदवाना चाहते हैं तो कांग्रेस के इस महाषडयंत्र को हमें फेल करना हीं होगा, हमें अपनी एकजुटता बना कर रखना हीं होगा।
#विजय_झा
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