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कुटुंब आप बहुत याद आओगे, आप आज हम सबके बीच नहीं रहे लेकिन आपके यादों की थाती हमेशा आपकी याद दिलाता रहेगा। ******************************************************

विधि के क्रूर हाथों ने मेरे बहनोई (Anand Jha जी) को समय से पहले ही हम सबसे छीन लिया। देखते ही देखते एक सौम्य-सुंदर-तेजस्वी-मृदुभाषी व्यक्तित्व को हम सबसे दूर कर गया। आँखों सामने वो एक-एक सुनहरे पल तैर रहे है जो हम लोगों ने साथ रहकर बिताए हैं। उनका मुस्कुराना, उनका चहकना, सबको हँसाना, ना कभी बोझिल होना और ना दूसरों को बोझिल होते देना, सब कुछ चलचित्र के सामान एक - एक कर आ रहे हैं।

मन यह मानने को अभी भी तैयार नहीं है वो सुनदर-सलौना चेहरा अब हम सबके बीच नहीं है। आज चार दिन हो गए, श्रद्धांजलि के दो शब्द लिखने को कीबोर्ड साथ नहीं दे रहा है। कैसे लिखूं, मेरे बहनोई अब हम सबके बीच अब नहीं रहे। कैसे कहूं काल के क्रूर हाथों ने उनको हम सबसे छीन लिया है। ये कैसी ईश्वर की लीला है, कोई ईश्वर इतना क्रूर कैसे हो सकता है की समय से पहले हमारे सबसे प्रिय को हम सबसे छीन ले।

मेरे बहनोई जिसे हमलोग प्यार से "कुटुंब" कह कर बुलाते थे, इतने सरलचित स्वाभाव के थे की उन्होंने कभी रिश्ते की जटिलता का भान नहीं होने दिया। सदा मित्रवत सम्बन्ध रहा हम लोगों के बीच, एक सेतु की तरह थे हम सभी भाइयों के बिच वो। कभी उन्हें गुस्सा होते हम लोगों ने नहीं देखा, सभी के साथ सहज-सरल ढंग से रहते थे। दंभ नाम की चीज तो उनमें बिलकुल ही नहीं था।

हम पांच भाइयों के बिच एक ही बहन है, बहुत ही धूम-धाम से से शादी किया था। और वैसा प्यार करनेवाला सारी सुख-सुविधाओं का ख्याल रखने वाला सुन्दर व्यव्हार कुशल पति मिला था। जीवन बहुत ही सरस सुगम चल रहा था लेकिन बिधि को भी ये अच्छा देखा नहीं गया और मेरे बहन को अकेला बना गया।

आज मेरा बहनोई ही इस संसार से नहीं गया है एक माँ-बाप का बेटा भी गया है, एक सास-ससुर का दामाद भी गया है, एक भाई-बहन का भाई भी गया है। संबंधों के जाल में तो सभी अपने जीने का आसरा खोज ही लेता है लेकिन वो पत्नी अपने जीवन का आसरा कहाँ खोजे। पति-पत्नी के रिश्ते जो मर्म है उसे शब्दों में ढूंढ पाना मुश्किल है। जिसका पति इस दुनिया से कूच कर गया हो उसके असीम दुःख को उसके भयानक पीड़ा को हम कैसे व्यक्त करें। कहाँ से इतना साहस लाएं उसे व्यक्त करने को। क्या बीत रही होगी उस पर, सोच कर ही दिमाग सुन्न हो जाता है। बस ईश्वर से यही प्रार्थना है, इसे दुःख सहन करने की शक्ति दे। बस ईश्वर से यही प्रार्थना है, इसे दुःख सहन करने की शक्ति दे। अपनी जो बाकी जिंदगी बचा है उसे अपने सुनहरे यादों के सहारे भविष्य की जिंदगी जीने का साहस दे।

सुनते थे कैंसर से किसी व्यक्ति का मृत्यु नहीं होता है, कैंसर के किमोपैथि उपचार से मृत्यु होता है। पहले ये अतिश्योक्ति लगता था, लेकिन ये क्रूर सत्य है। मेरे बहनोई को पेट में खाने की नली में छोटा सा गांठ हो गया था। पता चलते ही तुरंत मैक्स में उनका ऑपरेशन कराया गया। डाक्टरों ने ऑपरेशन को सफल भी बताया। सभी लोग खुश थे, चलो समय से ऑपरेशन हो गया अब सब सही है। लेकिन ये खुशी महीनों भी नहीं रह पाया, ऑपरेशन या केमो के साइड इफेक्ट से फेफड़े में पानी रिसना शुरू हो गया। अब पानी बंद करने के लिए फिर केमो देना डाक्टरों ने शुरू किया। 10-15 केमो देने के बाद जब स्थिति बदतर हो गया तब मैक्स वालों ने हाथ खड़ा कर दिया, अब घर ले जाइए। तब तक वैकल्पिक चिकित्सा का मार्ग भी समाप्त हो चूका था। अंत में दिल्ली के पंजाबी बाग में दिल्ली के मारबाड़ी समुदाय द्वारा शुरू किए गए पंचगब्य से कैंसर के आयुर्बेदिक उपचार शुरू किया गया है, ले गए 11 दिन वहां भर्ती भी रहे लेकिन तबतक बहुत देर हो चूका था। या कहे ईश्वर को इसी भांति उन्हें अपने पास बुलाना था।

29 . 07 . 16 शुक्रवार को दरभंगा में अपने परिवार कुटुंब के बीच उन्होंने इस नश्वर शरीर को त्याग, अनंत की ओर प्रस्थान कर गए। अपने सभी परिवार की ओर से "कुटुंब" को मेरा अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और हमारी बहन को इस असह्य दुःख सहने की शक्ति दें।

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