बुल्डोजर न्याय बनाम न्यायिक सक्रियता
शासन चलाना सरकार का काम है। कानून व्यवस्था को कैसे सुदृढ़ किया जाए, ये सरकार का काम है। अपराधियों और दंगाईयों पर कैसे नियंत्रण किया जाए, ये सरकार का काम है। भविष्य में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति नहीं हो, ये देखना सरकार का काम है।
न्यायालय द्वारा सरकार के रोज रोज के ऐसे कामों में टांग अड़ाना न्याय नहीं, न्यायिक बलात्कार है। कोर्ट को अपनी परीधि में रहकर हीं काम करना देश और समाज के हित में है। सरकार का काम सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
जब माब आता है और थाने पर हमला कर देता है, तो फिर शासन का इकबाल कायम करने के लिए बुल्डोजर न्याय भी एक तरीका है जिसका इस्तेमाल गलत नहीं है।
जब ये भीड़ "सर तन से जुदा" का नारा शहर दर शहर लगा रहा था। निर्दोष लोगों पर हमला कर रहा था तब आपका ये आदर्श आपकी न्यायिक सक्रियता कहां चला गया? आपने ऐसे जाहिलों हत्यारों की जमातों में कितनों पर कार्रवाई किया है? आपसे भी तो प्रश्न पूछा जाएगा।
एकपक्षीय न्याय की अवधारणा बहुत गलत है। न्यायिक सक्रियता के आड़ में मजहबी आतंकवाद को पोषित मत किजिए।
शासन चलाने का इतना हीं शौक है तो आ जाइए चुनाव मैदान में और जीतकर सत्ता संभाल लीजिए। लेकिन संविधानेत्तर तानाशाह मत बनिए।
बुल्डोजर से न्याय कोई शासन नहीं चाहता है, ये अंतिम विकल्प है। शासन को खुद तय करने दीजिए वो अपने शस्त्र का उपयोग कानून सम्मत कब और कैसे करता है।
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