अकबर के समय राजपुताना के भीतर मुख्यतः ग्यारह राज मौजूद थे।
अकबर ने जब मुगल राजसत्ता का विस्तार आरम्भ किया, उस समय राजपूताना के भीतर ग्यारह राज्य मौजूद थे :
• उदयपुर.
• डूंगरपुर.
• बांसवाड़ा.
• प्रतापगढ़.
• जोधपुर.
• बीकानेर.
• आंबेर.
• बूंदी.
• सिरोही.
• करौली.
• जैसलमेर.
----- इनमें मुख्य थे : मेवाड़(उदयपुर) और जोधपुर.
पूरे राजस्थान का इतिहास पढ़ने जानने का मतलब इन्हीं ग्यारह राज्यों का इतिहास विस्तार के साथ जानना है।
इसमें से सात राज्यों का इतिहास और संस्कृति विस्तार से गौरीशंकर हीराचंद ओझा जी ने लिख छोड़ा है।
सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर, जोधपुर, प्रतापगढ़ ---- इन्हें आप राजस्थानी ग्रन्थागार प्रकाशन केन्द्र से ले सकते हैं।
बिना यह सब पढ़े आप कैसे बात कर सकते हैं उस जाति के बारे में जिसने 1400 वर्षों तक हिन्दू धर्म और उसके जातीय आत्मबिंबों को अक्षुण्ण रूप प्रदान किए रखा...?
कमियां, न्यूनताएं, अंतर्विरोध और राष्ट्रीय अवनति के आहत चिह्न भी हैं इसमें, लेकिन अतुलनीय आत्मोत्सर्ग, अप्रतिम शूरता, पावन त्याग तथा राष्ट्रीय गौरव के चमचमाते अध्याय कदम दर कदम बिछे पड़े हैं इस मिट्टी के भीतर...
ऐसे में खुले मन से पढ़िए इसे !
फिर सराहिए ---- जातीय इतिहास की अनूठी गाथाओं को...
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