कया मोदीजी अब उसके ऐजेंडे मेंं फिट नहीं बैठ रहे?
2014 में जितने भी देशी-विदेशी ओपिनियन मेकिंग संस्थान मोदीजी के लिए बैटिंग कर रहा था, लगभग आज वो सारे मोदीजी के विरोध में खड़ा है। इसका क्या कारण हो सकता है?
क्या मोदीजी ने उनलोगों का रिन्यूअल नहीं किया?
या विरोध में खड़े होकर ये ओपिनियन मेकिंग संस्थान वारगेनिंग कर रहा है?
या मोदीजी अब उसके एजेंडे में फिट नहीं बैठ रहे हैं?
या इन ओपिनियन मेकिंग संस्थान को जितना काम मोदीजी से लेना था ले लिया अब अपने लिए दुसरा विकल्प खोज लिया है?
(हमलोगों को बड़ा भ्रम है जो सरकार हम बनाते हैं। हम तो कठपुतली मात्र है, डोर तो किसी और के पास है।)
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