कन्वर्जन और नक्सलवाद एक दिन में रुक सकता है, बशर्ते....
कन्वर्जन और नक्सलवाद दोनों एक दिन में रुक सकता है। बस हमारे सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति और विदेशी दबाव से मुक्त होने की आवश्यकता है। जो निकट भविष्य में संभव नहीं दिख रहा है।
भारत में नक्सलवाद और चर्च दोनों एक हीं है दोनों का हिडेन एजेंडा एक हीं है, हिंदुओं को धर्मपरिवर्तन कराकर ईसाई बनाना। और ये कुकर्म ये दोनों अथाह विदेशी पैसों के बल पर करता है।
आज सरकार एक कानून बनाकर इस घृणित अवैध विदेशी पैसे के आवक पर रोक लगा दे, देखिए कल हीं नक्सलवाद से लेकर मिशनरीज तक अकाल मृत्यु मर जाएगा। सारा खेल पैसों का है, एक बार इसके इस श्वास नली को काट दीजिए, ये दैत्य मर जाएगा।
लेकिन क्या ये संभव है? इसी से आप समझ सकते हैं हमारे शासक कितने लाचार हैं। हम कितने स्वतंत्र हैं। विदेशी हस्तक्षेप कितने अंदर तक घुसा है। जो शासक इस बर्बर के छत्ते में हाथ डालेगा उसका गद्दी पलट दिया जाएगा।
लेकिन फिर भी एक आशा तो है, समय एक समान किसी का नहीं रहता है। कभी अपना भी समय आएगा.......
जय जय सियाराम।
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