वायसराय लार्ड मेयो का हत्यारा शेर अली अफरीदी कोई क्रांतिकारी नहीं, यौन विकृत बहावी कट्टरपंथी था।
अभी मैंने बहुत से शांतिदूत पोर्टल के ऊपर पढ़ा जिसमें उन्होंने एक कुख्यात अपराधी यौन विकृत शेर अली अफरीदी के बारे में लिख रहे हैं कि एक ऐसा महान क्रांतिकारी जिसे इतिहास ने भुला दिया और जिसने अंग्रेज वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या की।
मित्रों अब जरा इस तथाकथित क्रांतिकारी शेर अली अफरीदी की सच्चाई जानिए
हां यह सच है कि उसने वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या किया था लेकिन सिर्फ किसी अंग्रेज की हत्या करने से कोई क्रांतिकारी नहीं हो जाता उसने वायसराय मेयो की हत्या क्यों किया था यह एक बड़ी दिलचस्प कहानी है
और इस पूरे आर्टिकल का सोर्स मैं कमेंट बॉक्स में दूंगा
शेर अली अफरीदी एक अफगान मूल का पठान था जो ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान तत्कालीन ब्रिटिश भारत में आकर ब्रिटिश सेना में प्रेसीडेंसी डिवीजन में शामिल हो गया और 1857 के गदर के समय उसकी पोस्टिंग रोहिलखंड अवध रियासत में थी।
शेर अली अफरीदी अपने नौकरी के दौरान अंबाला स्थित कावालरी रेजीमेंट में भी काम किया था जहां उसके काम से अंग्रेज अधिकारी मेजर ह्यू जेम्स का बहुत प्रभावित हुए थे।
शेर अली अफरीदी को मांसाहारी अफगानी व्यंजन बहुत अच्छे से बनाना आता था और इसलिए वह अंग्रेज अधिकारियों का दिल बहुत आसानी से जीत लेता था
बाद में शेर अली अफरीदी ब्रिटिश अधिकारी रैनल टेलर का निजी अर्दली बन गया। शेर अली अफरीदी रेनल टेलर के बच्चों की देखभाल करता था।
एक दिन अधेड़ उम्र के शेर अली अफरीदी को रैनल टेलर की पत्नी ने अपने बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार यानी गलत जगह पर टच करते और बच्चों के ऊपर इधर-उधर हाथ लगाते देखा। फिर मेजर साहब की पत्नी ने यह बात अपने पति रैनल टेलर को बताई और कहा कि इसे सेवा से हटाया जाए और इसे जेल में डाल दिया जाए क्योंकि यह एक यौन विकृत की तरह हमारे बच्चों से व्यवहार कर रहा है।
क्योंकि सन 1858 और सत्तर के दौरान भारतीयो और अंग्रेजो के बीच परस्पर विश्वास नहीं था क्योंकि हाल में ही प्रथम स्वतंत्रा संग्राम यानी 1857 की लड़ाई लड़ी गई थी इसलिए ब्रिटिश अधिकारियों को स्वामी भक्त भारतीयों की जरूरत थी जिसके कारण वह भारतीयों का दिल जीत सकें।
जब मिस्टर टेलर ने यह बात अपने उच्चाधिकारियों को बताई तब उनके उच्चाधिकारियों ने कहा कि शेर अली अफरीदी बहुत से मेजर और जनरल स्तर के अधिकारियों का विश्वासपात्र है क्योंकि यह बहुत से अंग्रेज अधिकारियों कार्दली और खानसामा रह चुका है और अगर हम अभी इसे गिरफ्तार करेंगे तब भारतीयों और अंग्रेजो के बीच में खाई और बढ़ेगी और कोई न कोई शेर अली अफरीदी का परिचित अधिकारी दबाव बनाकर उसे छुड़ा लेगा।
इसलिए अभी हम उसको आपके यहां से नौकरी से हटा देते हैं और कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करते हैं लेकिन शेर अली अफरीदी को उसके कुकर्मों की सजा अवश्य की जाएगी।
फिर 5 साल बाद शेर अली अफरीदी छुट्टी में अपने शहर पेशावर गया था और वहां उसके एक रिश्तेदार से जमीन का विवाद हुआ और उसने अपने रिश्तेदार की पेशावर में सरेआम हत्या कर दिया और अपने रिश्तेदार की हत्या के बाद वह पिस्तौल लहराते हुए अपने काम की जगह पहुंचा और उसे पूरा विश्वास था कि जो कि बहुत से ब्रिटिश अधिकारियों के साथ उसकी नजदीकी है इसलिए उसे खुन के गुनाह से माफी मिलने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
क्योंकि उस वक्त अंग्रेज अधिकारियों को यह पावर था कि वह किसी भी अपराधी की सजा को माफ कर सकते थे।
लेकिन शेर अली अफरीदी यह भूल चुका था कि मिस्टर टेलर ने उसकी शिकायत बड़े-बड़े अंग्रेज अधिकारियों से की थी क्योंकि उसने टेलर के 8 और 10 साल के बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार करता था।
उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर दिया गया था और उसके खिलाफ कड़ी चार्ज सीट बनाई गई फिर 20 अप्रैल 1867 में उसके खिलाफ मुकदमा चला उसने खुद को बेगुनाह बताया मगर उसके खिलाफ कई गवाह आए जिन्होंने गवाही दिया और जांच में सच पाया गया कि यह दोषी है और उसे फांसी की सजा सुना दी गई।
शेर अली अफरीदी की खुशकिस्मती थी कि वह कर्नल पॉलोक से सिफारिश करवा कर अपनी मौत की सजा को कालापानी यानी अंडमान की जेल में उम्र कैद में तब्दील करवा दिया और अंडमान के सेल्यूलर जेल में शेर अली अफरीदी को कैद कर दिया गया और जेल प्रशासन ने उसे हज्जाम यानी नाई का काम दिया।
यह अपने साथी कैदियों और ब्रिटिश जेल अधिकारियों की हजामत बनाया करता था क्योंकि शेर अली अफरीदी काफी हाजिर जवाब था और नॉनवेज खाने बनाने में माहिर था और अंग्रेजों को मसालेदार नॉनवेज खाना बहुत पसंद आता था इसलिए शेर अली अफरीदी ने अपने व्यवहार से अंडमान के ब्रिटिश जेल अधिकारियों में एक अच्छा खासा असर बना दिया।
वह अपने जेल के साथी कैदियों की चुगली ब्रिटिश अधिकारियों से करके या तो उन्हें अधिक सजा दिलवा देता था या मार पड़वाता था या उन्हें कम सजा करवा देता था।
उस वक्त अंडमान के सेल्यूलर जेल में क्रिमिनल अपराधियों और राजकीय आरोपियों को एक ही सेल में रखा जाता था और ब्रिटिश साम्राज्य की नजर में राजकीय कैदियों का अपराध खूनी अपराधियों बलात्कारियों और डकैतों से भी अधिक गंभीर माना जाता था और उस वक्त राजकीय कैदियों में अधिकतर वही लोग शामिल थे जो सन 1857 की बगावत में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़े थे और उनकी जिंदगी नर्क बनाने के लिए ही उन्हें काला पानी की सजा दी गई थी।
और शेर अली अफरीदी बहुत से 1857 के क्रांतिकारियों की चुगली करके ब्रिटिश अधिकारियों से उनको खूब मार खिलाता था और उनका उत्पीड़न करवाता था।
उसी समय अंडमान के काला पानी जेल में अंग्रेजों ने 8 बहाबी मौलवियों को कैद किया दरअसल बहावी मौलवियों को लगता था यदि भारत उपमहाद्वीप में अंग्रेजों का दबदबा बढ़ेगा तब उनकी खिलाफत सल्तनत कमजोर हो जाएगी इसलिए बहावी मौलवी अंग्रेजों का विरोध करते थे वह कोई क्रांतिकारी नहीं थे बस उनका एक इरादा था कि भारत खलीफा यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा बन जाए और भारत को खलीफा का हिस्सा बनाने के लिए जरूरी था कि अंग्रेजों को भारत से हटाया जाए।
अब जेल में बहावी मौलवियों से मिलकर शेर अली अफरीदी बहुत खुश हुआ उसे ऐसा लगा कि कोई अपना जेल में आया है उसके बाद उन बहावी मौलवियों ने शेर अली अफरीदी को मोहरा बनाया और उसका यह कहकर ब्रेनवाश किया गया कि बच्चाबाजी और लौंडा बाजी तो हमारे यहां आम बात है और यह हमारे अफगान अफ़गानी कल्चर का हिस्सा है और अफगानी पठान को कत्ल की सजा तो जिर्गा तय करती है ना कि कोई परदेसी हुकूमत।
धीरे-धीरे शेर अली अफरीदी उन कट्टर बहावी मौलवियों के बातों में आने लगा और उसे अंग्रेजों से नफरत होने लगी और उसे लगने लगा कि यदि अंग्रेजो को मार दिया जाए भगा दिया जाए तब भारत में इस्लामी हुकूमत यानी खलीफा की सत्ता कायम हो जाएगी।
उसके बाद बहावी मौलवियों ने शेर अली को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या करने का सुझाव दिया क्योंकि फरवरी 1872 में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो अंडमान जेल की इंस्पेक्शन यात्रा पर जाने वाले थे और अंडमान जेल प्रशासन तैयारी में लगा हुआ था।
लॉर्ड मेयो शाम को 7:00 बजे सेल्यूलर जेल का इंस्पेक्शन खत्म करके अपनी बोट तरफ जाने लगे जहां उनकी पत्नी मिसेज मेयो बैठी थी और तभी शेर अली अफरीदी झाड़ियों से निकलकर अंधेरे में उन पर उस्तरे से ताबड़तोड़ हमले किए और उनके गर्दन की सांस की नली एक झटके में काट दी।
क्योंकि वह जेल में पेशे से हज्जाम था इसलिए वह हमेशा अपने पास उस्तरा रखता था और जेल अधिकारी उसे उत्तरा कैंची इत्यादि रखने का परमिशन दिए थे और क्योंकि अंडमान के इलाके में सूर्यास्त जल्दी हो जाता है इसलिए उसने अंधेरे में झाड़ी में छुप कर वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या कर दिया इतना ही नहीं लॉर्ड मेयो की हत्या करने के बाद उसने मिसेज मेयो के साथ यौन हमला यानी उन्हें गंदे तरीके से छूने की कोशिश की थी लेकिन वायसराय के सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने मिलकर उन्हें काबू में कर लिया । लेकिन वह इतना ताकतवर था कि उसने फिर भी 2 लोगों को घायल कर दिया था।
फिर जब ब्रिटिश पुलिस ने जांच किया तब पता चला कि शेर अली अफरीदी जेल के सुपरिटेंडेंट की भी करना चाहता था ।
इस घटना ने ब्रिटिश हुकूमत के होश उड़ा दिए इतना ही नहीं जब ब्रिटिश पत्रकार मामले को कवर करने गए थे तब यह बेशर्मी से उनके सामने पोज देता था और महिला पत्रकारों पर अश्लील टिप्पणियां करता था।
फिर जब इसके ऊपर मुकदमा चलाया गया तब इसने अपने जुर्म के इकबालिया बयान में कहा कि उसके इस कत्ल में उसके साथ अल्लाह भी शामिल था क्योंकि अल्लाह यह नहीं चाहता था कि वायसराय जैसे ब्रिटिश हुकूमत के नुमाइंदे अपनी खूबसूरत पत्नी के साथ दुनिया के तमाम सुख भोगे और भारत की सरजमीं पर हमारे खिलाफत का हक है और मैं चाहता हूं कि हमारा खिलाफत भारत की सरजमीं पर राज करे ना कि ब्रिटिश हुकूमत राज करें।
इसलिए मित्रों बहुत से यूट्यूब पर फेसबुक पर बहुत से ब्लॉग पर शेर अली अफरीदी को क्रांतिकारी बताया जाता है लेकिन वह क्रांतिकारी बिल्कुल नहीं था वह एक यौन विकृत कट्टरपंथी बहावी था था और उसने वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या भारत की स्वतंत्रता संग्राम के लिए नहीं की थी बल्कि कुछ बहाबी मौलवियों के प्रभाव में आकर उसने भारत में खलीफा का राज स्थापित करने के लिए किया था
नोट :- इसमें से काफी तथ्य शेर अली अफरीदी के चार्ज शीट से लिए गए हैं और उसके इकबालिया बयान से लिए गए हैं जो उसकी चार्जशीट में दर्ज है
© जितेंद्र प्रताप सिंह के फेसबुक वाल से साभार।
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