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पालघर में संतों की हत्या का सच?

Vijay Jha : अब ये लगभग स्पष्ट हो चुका है, पालघर में निरपराध-निर्दोष संतो की हत्या महाराष्ट्र पुलिस के संरक्षण म़े माओवादी और ईसाई मिसनरीज ने मिलकर किया है। 

पुलिस के आने से पहले तीन घंटे तक वहां के सरपंच कुछ ग्रामीणों के साथ मिलकर संतो की हत्या नहीं होने दिया। सभी ग्रामीण हत्यारे नहीं थे, इसलिए तीन घंटे तक ग्रामीणों ने संत की हत्या नहीं होने दिया। सरपंच ने हीं फोनकर पुलिस को बुलाया। पुलिस दो घंटे देर से आया। इस बीच संत हत्यारों से घिरे तो थे लेकिन सुरक्षित थे।

लेकिन पुलिस के आने के बाद संत सुरक्षित नहीं रहे चंद हत्यारों ने पुलिस के संरक्षण में संतो का हत्या विभीत्सतापूर्वक कर दिया।

इसलिए पालघर में संतो की हत्या में पुलिस की भूमिका की पहले जांच होना चाहिए। पुलिस की भूमिका की जांच से हीं सबकुछ सामने आ जाएगा।

एक बात तो स्पष्ट है, संतो की हत्या बहुत बड़े शाजिश का परिणाम है। पुलिस की थ्योरी और सैकड़ो लोगों पर एफआईआर, जांच को अंधी सुरंग में ले जाने की शाजिश और मुख्य शाजिशकर्ता को बचाने की घृणित चाल है।

पालघर में साधुओं की हत्या की निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक है सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में एक सशक्त एसआइटी का गठन हो। या नहीं तो पुरा केस सीबीआई के हवाले करे महाराष्ट्र सरकार।

यहां तो भक्षक हीं रक्षक का दिखावा कर रहा है, जो बहुत खतरनाक है।

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