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बिहार की मर्यादा, उसकी छवि को ताड़-ताड़ करते लालू के गुंडे।

भाजपा कार्यालय पर किए गए हिंसक प्रदर्शन से   लालू यादव के गुंडों ने फिर से बिहार की मर्यादा, उसकी छवि को तार-तार कर दिया। बिहार को बदनामी के गर्त में धकेल चुके लालू यादवयादव और उसके गुंडे बिहार को बदनाम करने का कोई मौका छोड़ते नहीं।

नितीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर अपराध मुक्त और विकास युक्त बिहार की जो छवि बनाया था उस छवि को जमींदोज करने में लालू के गुंडों ने कोई कसर नहीं छोड़ा है।

आज फिर बिहार अपनी पुरानी छवि में लौट आया है, जहां सत्ता पक्ष हीं लूट, फिरौती, अपहरण, गुंडई को अपना प्रमुख व्यवसाय बना रखा है। जब सत्ता पक्ष हीं शासन के साथ मिलकर जनता को लूटने लगे, उसे मारने लगे तो जनता कहाँ जाएगा, जनता क्या करेगा?

लालू ने फिर से बिहार को अराजकता के गड्ढे में धकेल चुका है। आज का बिहार तालिबानियों, आईएस से भी खुंखार लोगों के गिरफ्त में फंसकर कराह रहा है। लेकिन सेकुलरिज्म के बुर्के में छुपे पत्रकारों-साहित्यकारों को बिहार की यह दुर्दशा, उसका यह दर्द दिखाई नहीं दे रहा है। बेरोजगारी और भूखमरी के कारण पलायन को मजबूर बिहारी आज असुरक्षा के कारण पलायन को मजबूर हो रहे हैं।

लालू यादव बिहार के विकास का दुश्मन है। अविकसीत-अशिक्षित बिहार हीं इसका प्रमुख वोटबैंक है। इसलिए कभी इसने बिहार की विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया। नितीश कुमार के अच्छे कामों को अपने बुरे कामों से पलीता लगाने का काम इसने किया है।

लेकिन लालू यादव और उसके गुंडों से भी बड़ा गुनहगार तो रवीश जैसे तलवा चाटू पत्रकार हैं, जिसने सेकुलरिज्म की आड़ में ऐसे गुंडे का पक्ष लिया उसको आगे बढाया। जिस कारण आज बिहार की छवि तार-तार हो रहा है, लोग बिहार का नाम सुनकर कांप जाते हैं।

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