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डाक्टरों द्वारा पीएमसीएच में मनीष कश्यप की पीटाई।

बिहार के सबसे बड़े सरकारी हास्पीटल पीएमसीएच में देश के नामी यूट्यूबर मनीष कश्यप के साथ वहां के डाक्टरों ने मारपीट किया। मारपीट हीं नहीं किया, बूरी तरह मारा, मारते-मारते अधमरा कर दिया। 

दुर्भाग्य देखिए #मनीष_कश्यप के समर्थन में कोई नहीं आया। ना कोई पत्रकार, ना कोई बड़ा यूट्यूबर, ना किसी दल का नेता और ना हीं सोशल मीडिया के जो बड़े-बड़े छत्रप है, मनीष कश्यप के खिलाफ किए गए इस घोर अपराध पर किसी ने भी मुंह नहीं खोला। 

यह ठीक है मनीष कश्यप बार बोला है, कई बार वो भावातीरेक में सीमा पार कर जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की सैकड़ो की भीड़ उसे पीट दे और कोई उसके खिलाफ मुंह ना खोले। 

मारने वाला कोई जाहिल,अनपढ़, गंवार व्यक्ति होता तो समझा जा सकता है। लेकिन यहां तो मारने वाला समाज के सबसे सबसे सभ्य माने जाने वाले लोग थे।

 अगर मनीष कश्यप ने कोई अपराध किया है तो उसकी शिकायत यहां के डॉक्टर लोग पुलिस में करते। पुलिस नहीं सुनता तो कोर्ट जाते, लोकतांत्रिक व्यवस्था में जो भी विकल्प मौजूद है वह विकल्प आजमाते। लेकिन नहीं, डॉक्टरों ने मनीष कश्यप को मार मार के अधमरा कर दिया। इतने बड़े अपराध के खिलाफ जो आवाज उठाना चाहिए था बिहार से या देश से वह आवाज कहीं नहीं उठा, क्यों?

 आज यदि यही मनीष कश्यप किसी वाम दल से या किसी अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ा होता तो अभी तक उसके साथ देने के लिए बहुत से लोग खड़े हो जाते, लेकिन दुर्भाग्य देखिए जो मनीष कश्यप दक्षिण पंथियों के साथ इतना दिन रहा और जब उसके साथ घोर  अमानवीय व्यवहार किया गया तो उसके साथ देने खुलकर कोई दक्षिणपंथी नहीं आया।

 यहां वाम और दक्षिण का फर्क साफ साफ दिख रहा है। मुसीबत में कौन किसके साथ खरा होता है, यह भी साफ-साफ दिख रहा है।

इसलिए बंधुओं जोश में कभी मनीष कश्यप मत बन जाना, कोई साथ नहीं देगा, यदि दक्षिण टोले से हो।

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