मैथिली गीत-नाद
स्वागत गीत
मंगलमय दिन आजु हे, पाहून छथि आयल !
धनि-धनि जागल भाग हे, मन कमल फुलायल !!
मंगलमय दिन ----------------------------------- !!
मंगलघट सँ द्वारि सजाओल,
कंचन दीया बारि हम लाओल ,
गांथल हार गुलाब हे, हिनका पहिराओल !
मंगलमय दिन ------------------------ !!
घर खाली बेसी अभिलाषा,
दुभि - धान पर अगबे आशा ,
मान बढ़ावे पाग हें, हिनका पहिराओल !
मंगलमय दिन ------------------------ !!
घर में धन भावहिं का संभल,
सुभग सिनेह मनहिं मन केवल,
घर केर अनुपम साज हे, भोजन में साजल !
मंगलमय दिन ------------------------ !!
1. बड़ सुखसार पाओल तुअ तीरे
बड़ सुखसार पाओल तुअ तीरे। छाड़इते निकट नयन बह नीरे।
कर जोड़ि बिनमञो विमलतरङ्गे । पुन दरसन होअ पुनिमति गङ्गे ।
एक अपराध छेँओब मोर जानी । परसल माए पाए तुअ पानी।
कि करब जप तप जोग धेआने । जनम सुफल भेल एकहि सनाने।
भनइ विद्यापति समन्दञो तोही । अंत काल जनु बिसरह मोही।
कर जोड़ि बिनमञो विमलतरङ्गे । पुन दरसन होअ पुनिमति गङ्गे ।
एक अपराध छेँओब मोर जानी । परसल माए पाए तुअ पानी।
कि करब जप तप जोग धेआने । जनम सुफल भेल एकहि सनाने।
भनइ विद्यापति समन्दञो तोही । अंत काल जनु बिसरह मोही।
2. डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर -२ ……
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर -२ ……
ल गेल चोर ,गौरा ल गेल चोर -२ …….
उकटब हे गौरा नैहर तोर -२……
तोर बाप डमरू -२, चोरा लेलनि मोर, गौरा ल गेल चोर
नहीं उकटू शिव नैहर मोर -२……
टूटलि मरैया पर -२, एतेक टीपोर, गौरा ल गेल चोर
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर -२ ……..
कार्तिक गणपति लेलनि कोर -२ ……….
चलली भवानी,२ नैहरबा के ओर,गौरा ल गेल चोर
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर
दस -पाच सखी भोला लेलैनी बजाए २……..
रुसल भवानी के २ लेलनि मनाई, गौरा ल गेल चोर
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर २ ……
ल गेल चोर ,गौरा ल गेल चोर -२ …….
उकटब हे गौरा नैहर तोर -२……
तोर बाप डमरू -२, चोरा लेलनि मोर, गौरा ल गेल चोर
नहीं उकटू शिव नैहर मोर -२……
टूटलि मरैया पर -२, एतेक टीपोर, गौरा ल गेल चोर
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर -२ ……..
कार्तिक गणपति लेलनि कोर -२ ……….
चलली भवानी,२ नैहरबा के ओर,गौरा ल गेल चोर
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर
दस -पाच सखी भोला लेलैनी बजाए २……..
रुसल भवानी के २ लेलनि मनाई, गौरा ल गेल चोर
डमरुआ हे गौरा ल गेल चोर २ ……
3. रुसि चलली गौरी तेजि महेश
रुसि चलली गौरी
तेजि महेश, कर धय कार्तिक गोद गणेश २….
तोहे गौरी जुनि नैहर जाह २ ,त्रिशूल बाघम्बर बेचि बरु खाह
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
त्रिशूल बाघम्बर रहो बर पाया २ , हम दु:ख काटब नैहर जाय
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
देखि ऐलहूँ गौरी नैहर तोर २ , सबके पहिरन बाकल डोर
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
जुनि उकटू शिव नैहर मोर २, नांगट स भल बाकल डोर
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
भनहिं विद्यापति सुनिय महेश २, नीलकंठ भय हरहु क्लेश
रुसि चलली गौरी तेजि महेश, कर धय कार्तिक गोद गणेश २….
तोहे गौरी जुनि नैहर जाह २ ,त्रिशूल बाघम्बर बेचि बरु खाह
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
त्रिशूल बाघम्बर रहो बर पाया २ , हम दु:ख काटब नैहर जाय
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
देखि ऐलहूँ गौरी नैहर तोर २ , सबके पहिरन बाकल डोर
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
जुनि उकटू शिव नैहर मोर २, नांगट स भल बाकल डोर
रुसि चलली गौरी तेजि महेश….
भनहिं विद्यापति सुनिय महेश २, नीलकंठ भय हरहु क्लेश
रुसि चलली गौरी तेजि महेश, कर धय कार्तिक गोद गणेश २….
4. कुंज भवन सं निकसल रे
कुंज भवन सं निकसल रे, रोकल गिरिधारी।
एकहि नगर बसु माधव हे, जनि करु बटमारी।।
छोड़- छोड़ कान्ह मोर आंचर रे, फाटत नब साड़ी।
अपजस होएत जगत भरि हे, जनि करिअ उधारी।।
संगक सखि अगुआइलि रे, हम एकसरि नारी।
दामिनि आय तुलायति हे, एक राति अन्हारी।।
भनहि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।
हरिक संग कछु डर नहि हे, तोंहे परम गमारी।।
एकहि नगर बसु माधव हे, जनि करु बटमारी।।
छोड़- छोड़ कान्ह मोर आंचर रे, फाटत नब साड़ी।
अपजस होएत जगत भरि हे, जनि करिअ उधारी।।
संगक सखि अगुआइलि रे, हम एकसरि नारी।
दामिनि आय तुलायति हे, एक राति अन्हारी।।
भनहि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।
हरिक संग कछु डर नहि हे, तोंहे परम गमारी।।
5."गणपति वंदना"
गाईये गणपति जग वंदन,
शंकर सुवन भवानी के नंदन.
सिद्धि सदन गज बदन विनायक,
कृपा सिन्धु सुन्दर सब लायक.
गाईये गणपति जग वंदन,
शंकर सुवन भवानी के नंदन.
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता,
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता.
गाईये गणपति जग वंदन,
शंकर सुवन भवानी के नंदन.
मांगत तुलसी दास कर जोरे,
बसहूँ राम सिय मानस मोरे.
गाईये गणपति जग वंदन,
शंकर सुवन भवानी के नंदन.
मोन करे कने सासुर जैतौं !
हे कनियाँ क नैना-२
(प्रियतम परदेश में छथि और विरहिणी गाम में छथिन्ह, विरह दशाक वर्णन ! )
हे कनियाँ क नैना-२ सँ नैना मिलैतौं----
(मोन छलए जे कनियाँ के नैना सँ नैना मिलेतौं, मुदा मजबूरी हम परदेश में छि आ -----------)
मोन करे कने सासुर जैतौं -२
कनियाँ क नैना-2 सँ नैना मिलैतौं,
मोन करे कने सासुर जैतौं-2 !
कहियो नै देखलौं हम नैना दुनू क जुराइ क-2,
लाजे न तकली कहियो, घोघ अपन ओ हटाइ क !
अपने सँ जा क-२, घोघ हटाई तौं !
मोन करे कने सासुर जैतौं-2 !
हो भ गेल बैरन मोरा, दूर शहर के नोकरिया -२
दगध्ल रहलै छतिया, जुरलै नै हमर नजरिया !
दगध्ल छतिया-२ जा क जुरैतौं,
मोन करे कने सासुर जैतौं-2 !
ताके टुकुर टुक ऐना -
अंशुमाला झा
ताके टुकुर टुक ऐना हे ननदी, ताके टुकुर टुक ऐना !
सुरमा लगायब कोना हे ननदी, ताके टुकुर टुक ऐना !
एक आँख देवर, दोसर दिस प्रियतम -२
मुंहों-2 हुनक जुनू सोना हे ननदी, सुरमा लगायब कोना !
ताके टुकुर टुक ऐना हे ननदी, ताके टुकुर टुक ऐना !
सुरमा लगायब कोना हे ननदी, ताके टुकुर टुक ऐना !
राजा जनक जी
राजा जनक जी -२,
कठिन प्रण ठानल आहो राम रामा !
दुवारही राखल धनुखिया आहो राम रामा -२!!
राजा जनक जी -३ कठिन प्रण ठानल ----------
जे एही धनुखा के तोरि के राखत-2 आहो राम रामा !
सीता जी के व्याही ले जैत आहो राम रामा !!
राजा जनक जी -३ कठिन प्रण ठानल ----------
देसही बीदेश केर भूप सब आओल -2 आहो राम रामा !
धनुखा के छूबी–छूबी जायत, आहो राम रामा !!
राजा जनक जी -३ कठिन प्रण ठानल ----------
मुनीजीक संग द्वी बालक आओल-2 आहो राम रामा !
धनुखा तोरल श्री राम, आहो राम रामा !!
राजा जनक जी -३ कठिन प्रण ठानल ----------
कोने बाबा हरदी बेसाहल
कोने बाबा हरदी बेसाहल, कोने अम्मा पी$सल हे !
माई हे लगतै दूल्हा के उबटन, दुल्हिन के उबटन हे -३!!
जनक बाबा हरदी बेसाहल, सुनयना अम्मा पी$सल हे !
माई हे लगतै दूल्हा के उबटन, दुल्हिन के उबटन हे -३!!
नन्द बाबा हरदी बेसाहल, यशोदा अम्मा पी$सल हे !
माई हे लगतै दूल्हा के उबटन, दुल्हिन के उबटन हे -३!!
कोने भैया हरदी बेसाहल, कोने भौजी पी$सल हे !
माई हे लगतै दूल्हा के उबटन, दुल्हिन के उबटन हे -३!!
सबके सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे
सबके सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे,हमरा कियै बिसरै छी हे !-२
हमरा कियै बिसरै छी हे माता,हमरा कियै बिसरै छी हे !-२
सबके सुधि
--------------------------!
छी हम पुत्र अहीं के जननी -२
से त अहाँ जनै छी हे -२
एहन निष्ठुर कियै अहाँ भेलौं, कनिको दृष्टि नै दै छी हे-२
सबके सुधि ------------------------------!
छन-छन पल-पल ध्यान करै छी -२
नाम अहीं के जपै छी हे -२
रैन दिवस हम ठाढ़ रहै छी, दरसन बिनु तरसै छी हे -२
सबके सुधि-----------------------------!
छी जगदम्बा जग-अवलम्बा -२
तारिणी शरण बनै छी हे -२
हमरा बेर कियै नै तकै छी, पापी जनि ठेलै छी हे -2
सबहक सुधि --------------------------------!
हमरा कियै बिसरै छी हे माता,हमरा कियै बिसरै छी हे !-२
सबके सुधि
--------------------------!
मोती जेना झहरई नोर
कानि कानि सीता बेटी, अंगना बहारथि अंगना बहारथि !
मोती जेना झहरई नोर -२ !!
कानि कानि
----------------------------------------------------!
घर सँ बाहर भेली, माई सुनयना -२ !
कियै सीता झहरई नोर -२ !!
आई हम भेलहुँ -२, पर के पुतहुआ -२ !
बिनती करैत दिन जाय -२ !!
बेटा के लिखल बेटी -२, अपनो संपतिया -२ !
अहुँके लिखल पर घर -२ !!
कियै सीता झहरई नोर , बिनती करैत दिन जाय !
अहुँके लिखल पर घर , मोती जेना झहरई नोर !!
विद्यापति गीत
1.
के पतिआ लय जायत रे, मोरा पिअतम पास।
हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।।
एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय।
सखि अनकर दुख दारुन रे, जग के पतिआय।।
मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल।
गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।।
विद्यापति कवि गाओल रे, धनि धरु मन मास।
आओत तोर मन भावन रे, एहि कातिक मास।।
हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।।
एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय।
सखि अनकर दुख दारुन रे, जग के पतिआय।।
मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल।
गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।।
विद्यापति कवि गाओल रे, धनि धरु मन मास।
आओत तोर मन भावन रे, एहि कातिक मास।।
2.
चानन भेल विषम सर रे, भुषन भेल भारी।
सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी।।
एकसरि ठाठि कदम-तर रे, पछ हरेधि मुरारी।
हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी।।
जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे।
चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह।।
कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।
आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी।।
3.
सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी।।
एकसरि ठाठि कदम-तर रे, पछ हरेधि मुरारी।
हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी।।
जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे।
चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह।।
कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।
आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी।।
3.
चन्दा जनि उग आजुक
राति।
पिया के लिखिअ पठाओब पांति।।
साओन सएँ हम करब पिरीति।
जत अभिमत अभि सारक रिति।।
अथवा राहु बुझाओब हंसी
पिबि जनु उगिलह सीतल ससी।।
कोटि रतन जलधर तोहें लेह।
आजुक रमनि धन तम कय देह।।
भनइ विद्यापति सुभ अभिसार।
भल जल करथइ परक उपकार।।
पिया के लिखिअ पठाओब पांति।।
साओन सएँ हम करब पिरीति।
जत अभिमत अभि सारक रिति।।
अथवा राहु बुझाओब हंसी
पिबि जनु उगिलह सीतल ससी।।
कोटि रतन जलधर तोहें लेह।
आजुक रमनि धन तम कय देह।।
भनइ विद्यापति सुभ अभिसार।
भल जल करथइ परक उपकार।।
4.
कुंज
भवन सएँ निकसलि रे रोकल गिरिधारी।
एकहि नगर बसु माधव हे जनि करु बटमारी।।
छोड कान्ह मोर आंचर रे फाटत नब सारी।
अपजस होएत जगत भरि हे जानि करिअ उधारी।।
संगक सखि अगुआइलि रे हम एकसरि नारी।
दामिनि आय तुलायति हे एक राति अन्हारी।।
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी।
हरिक संग कछु डर नहि हे तोंहे परम गमारी।।
एकहि नगर बसु माधव हे जनि करु बटमारी।।
छोड कान्ह मोर आंचर रे फाटत नब सारी।
अपजस होएत जगत भरि हे जानि करिअ उधारी।।
संगक सखि अगुआइलि रे हम एकसरि नारी।
दामिनि आय तुलायति हे एक राति अन्हारी।।
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी।
हरिक संग कछु डर नहि हे तोंहे परम गमारी।।
5.
ससन-परस
रबसु अस्बर रे देखल धनि देह।
नव जलधर तर चमकय रे जनि बिजुरी-रेह।।
आजु देखलि धनि जाइत रे मोहि उपजल रंग।
कनकलता जनि संचर रे महि निर अवलम्ब।।
ता पुन अपरुब देखल रे कुच-जुग अरविन्द।
विकसित नहि किछुकारन रे सोझा मुख चन्द।।
विद्यापति कवि गाओल रे रस बुझ रसमन्त।
देवसिंह नृप नागर रे, हासिनि देइ कन्त।।
नव जलधर तर चमकय रे जनि बिजुरी-रेह।।
आजु देखलि धनि जाइत रे मोहि उपजल रंग।
कनकलता जनि संचर रे महि निर अवलम्ब।।
ता पुन अपरुब देखल रे कुच-जुग अरविन्द।
विकसित नहि किछुकारन रे सोझा मुख चन्द।।
विद्यापति कवि गाओल रे रस बुझ रसमन्त।
देवसिंह नृप नागर रे, हासिनि देइ कन्त।।
6.
जगदम्ब
अहीं अबिलम्ब हमर !
हे माय आहाँ बिनु आश ककर !!
जँ माय आहाँ दुख नहिं सुनबई
त जाय कहु ककरा कहबै
करु माफ जननी अपराध हमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहींक शरण में आयल छी
देखु हम परलऊँ बीच भमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
काली लक्षमी कल्याणी छी
तारा अम्बे ब्रह्माणी छी
अछि पुत्र-कपुत्र बनल दुभर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
जगदम्ब.....
हे माय आहाँ बिनु आश ककर !!
जँ माय आहाँ दुख नहिं सुनबई
त जाय कहु ककरा कहबै
करु माफ जननी अपराध हमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहींक शरण में आयल छी
देखु हम परलऊँ बीच भमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
काली लक्षमी कल्याणी छी
तारा अम्बे ब्रह्माणी छी
अछि पुत्र-कपुत्र बनल दुभर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
जगदम्ब.....
7.
लाले-लाले
आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
हे माँ गरदनि लग लियोऊ माँ
हम सब छी धीया-पूता आहाँ महामाया
आहाँ नई करबै त करतै के दाया
ज्ञान बिनु माटिक मुरति सन ई काया
तकरा जगा दिया माँ
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
कोठा-अटारी ने चाही हे मइया
चाही सिनेह नीक लागै मड़ैया
ज्ञान बिनु माटिक मुरुत सन ई काया
तकरा जगा दिया माँ.....
आनन ने चानन कुसुम सन श्रींगार
सुनलऊँ जे मइया ममता अपार
भवन सँ जीवन पर दीप-दीप पहार भार
तकरा हटा दिय माँ.....
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
सगरो चराचर अहींकेर रचना
सुनबई अहाँ नै त सुनतै के अदना
भावक भरल जल नयना हमर माँ
चरनऊ लगा लीचड माँ.....
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
हे माँ गरदनि लग लियोऊ माँ
हम सब छी धीया-पूता आहाँ महामाया
आहाँ नई करबै त करतै के दाया
ज्ञान बिनु माटिक मुरति सन ई काया
तकरा जगा दिया माँ
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
कोठा-अटारी ने चाही हे मइया
चाही सिनेह नीक लागै मड़ैया
ज्ञान बिनु माटिक मुरुत सन ई काया
तकरा जगा दिया माँ.....
आनन ने चानन कुसुम सन श्रींगार
सुनलऊँ जे मइया ममता अपार
भवन सँ जीवन पर दीप-दीप पहार भार
तकरा हटा दिय माँ.....
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
सगरो चराचर अहींकेर रचना
सुनबई अहाँ नै त सुनतै के अदना
भावक भरल जल नयना हमर माँ
चरनऊ लगा लीचड माँ.....
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
उंगली में ड्सली पिया नगनिया
उंगली में ड्सली पिया नगनिया रे हे ननदी दियरा जला
द-२
दियरा जला द अपना भैया के जगा द -२
नस नस उठेला लहरिया रे हे
ननदी दियरा जला द -२
दियरा जला द अपना भैया के जगा द -२
एक आँख मूंदी
हम, अपना दरद से, -2
दोसरा ई रतिया अंधरिया रे हे ननदी दियरा जला द -2
दियरा जला द अपना भैया के जगा द -२
पटना शहरिया
से वैदा बुला द$, -2
पोर-पोर उठेला
दरदिया रे हे ननदी दियरा
जला द$. -2
दियरा जला द अपना भैया के जगा द -२
कहत महिंदर
ननदी पियबा बुला द$,-2
उन्ही से उतरी
ई लहरिया रे हे ननदी दियरा जला द$-2
दियरा जला द अपना भैया के जगा द -२
बधैया
मिलि-जुलि गावे
के बधैया, बधैया गाव$ सोहर हो।
आजु कृष्णा
के होइहें जनमवां, जगत गाव$ सोहर हो।।
अरे देवकी घर
भाईले ललनवा, महल बाजे सोहर हो।
आज कृष्णा के
होइहें जनमवां, जगत गाव$ सोहर हो।।
नन्द बाबा बाँटे
धेनु गैया, लुटावे धन यशोदा मैया हो।
आज कृष्णा के
होइहें जनमवां, जगत गाव$ सोहर हो।।
दूल्हा बनल श्रीराम हे
चलु सखि हिलि-मिलि
जनक के आँगन, दूल्हा बनल श्रीराम हे। -२
द्वि ही किशोर
बीच आयला वशिष्ठ गुरु-२, एक गोर एक छथि श्याम हे।
चलू सखि हिलि-मिलि
जनक के आँगन…………………………।
देश-विदेश केर
भूप सब आयला सखी -२ , गुर खाके गेला निज धाम हे।
जे शिव धनुष
छु$बैत काल टूटि गेल, रहि गेल सिया जी के मान
हे।
दूल्हा बनल
श्री राम हे…………………………।
रंग-विरंग केर
बाजि गेल साज$ सखि-२, बरसल सुम$न आकाश हे।
देहिक वैदिक
आहि सखि मिट गेल, मिट गेल तीनों पाप हे।
दूल्हा बनल
श्री राम हे…………………………।
परिछन चलियौ सखी
परिछन चलियौ
सखी, सुन्दर जमैया हे सुहावन लागे।
वर छथिन बड़
सुकुमार, हे सुहागन लागे।
परिछन चलियौ
सखी, ............................... ।
वर छथिन बड़
सुकुमार, …………………… ।
चम-चम चमकनि,
सिर केर पाग
हे
सुहावन लागे ।
नैना के काजर
अनूप, हे सुहावन लागे।
वर छथिन बड़
सुकुमार, …………………… ।
सिया सुकुमारी
देलखिन, अंचरा ओछाई हे सुहावन लागे।
चलथिन पाहून
श्री राम, हे सुहावन लागे।
वर छथिन बड़
सुकुमार, …………………… ।
धीरे-२ चलियौ
रघुवर, अंचरा ने फाटै हे सुहावन लागे।
अंचरा के दाम
अनमोल, हे सुहावन लागे।
वर छथिन बड़
सुकुमार, …………………… ।
अंचरा के दाम$
सुनि, हंसला रघुवर जी हे सुहावन लागे।
मिथिला के नारी,
बड़ चतुर हे सुहावन लागे।
वर छथिन बड़
सुकुमार, …………………… ।
जंघिया चढ़ाई बाबा
जंघिया चढ़ाई
बाबा बैसला मंडप पर, बाबा करू ने कन्यादान हे।
आहे बाबा करू ने धीयादान हे।
जंघिया चढ़ाई …………………।
कन्यादान करे बैसला बाबा, मोती जकां झहरनि नोर हे।
आहे मोती जकां झहरनि नोर हे।
जंघिया चढ़ाई …………………।
सिसकि-सिसकि रोबे मैया हे सुनयना, अपन धिया भेलै
बिरान हे।
आहे अपन धिया भेलै बिरान हे।
जंघिया चढ़ाई …………………।
वर रे जतन हम आस लगाओल
वर रे जतन हम
आस लगाओल, पोसल नेह लगाय।
सेहो धिया आब
सासुर जेतीह, लोचन नीर बहाय।
लोचन नीर बहाय……………………।
जखन धीया मोर
कानय बैसथि, सखि मुख पड़ल उदास।
अपन शपथ बुझी
सखि पर बोधल, डोलिया में देलनि चढ़ाय।
लोचन नीर बहाय……………………।
गामक पश्चिम
एक ठुठी रे पाकरिया, एक कटहर एक आम।
गोर रंग देखि
जुनि भुलिहह हो बाबा, श्यामल रंग भगवान।
लोचन नीर बहाय
……………………।
सूनी भवन केने जाई छी गे बेटी
सूनी भवन केने
जाई छी गे बेटी, अयोध्या में बाजत बधाई हे।
हरियर गोबर
अंगना निपाओल, गज मोती अर्पण भेल हे।
सुनी भवन
……………………।
नगरक सखिया
बड़ा रे निरमोहिया, धिया देलनि डोलिया चढ़ाई
हे।
सुनी भवन
……………………।
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