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ये कल भी गद्दार थे और आज भी गद्दार है। #कम्युनिस्ट, #इस्लाम

आपको पता है, जिस शिद्दत से भारत के मुसलमान और कम्युनिस्ट आज चीन के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़ा है, उतनी हीं शिद्दत के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा था।

दरअसल मुसलमान और कम्युनिस्ट का बुनावट हीं इस तरह का है की वह अपने से इतर विचार बहुल वाले देश का बफादार हो हीं नहीं सकते हैं। उनके विचार और गॉड दोनों अभारतिय हैं। इसलिए उनके लिए ये अपना देश भी केवल भोग की भूमि है।

स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों के खिलाफ मुसलमान भारत को पुनः इस्लामिक राज्य बनाने के लिए साथ था तो कम्युनिस्ट भारत को अंतरराष्ट्रीय वामपंथ के छतरी के नीचे लाने के लिए साथ था।

यानी मुसलमान और कम्युनिस्ट भारत की वास्तविक आजादी के लिए नहीं अपने गॉड के सपनों का देश कब्जाने की लड़ाई लड़ रहा था।
वक्त बीत गया लेकिन इन दोनों के चरित्र में आज भी कोई परिवर्तन नहीं आया। आज भी दोनों अपने अल्लाह की शासन भारत में लाने की लड़ाई लड़ रहा है। चीन से भारत की लड़ाई में ये अपने लिए अवसर खोज रहा है। इसके सारे क्रिया-प्रतिक्रिया सब उसीके निमित्त होता है। 

उसके शब्दावली पर नहीं उसके भावों पर जाइये। उसके दुखी दिख रहे छद्म चेहरों पर नहीं उस दुखी दिख रहे चेहरों के पीछे छुपे खुशी को देखिए।

ये कल भी गद्दार थे और आज भी गद्दार है।

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