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इस षडयंत्र को पहचानिए।

इस चुनावी वर्ष में एक कृत्रिम वातावरण निर्मित किया गया, मोदी सरकार से पिछड़े, दलित, पटेल, करणी सेना, जाट, शिक्षित बेरोजगार, युवा आदि परेशान है। सबको अनेक बैनर के साथ सड़कों पर भी उतारा गया। यानी लगभग 80% हिंदुओं को जाति के टुकड़ों में बांटकर उसे मोदी सरकार के खिलाफ दिखाया जा रहा है।

अब सवाल उठता है मोदी सरकार से केवल हिंदू हीं नाराज है, मुसलमान क्यों नहीं? मुसलमान अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन क्यों नहीं कर रहा है?
क्या मोदी सरकार आते हीं मुसलमानों के कोई समस्या नहीं रहा? सच्चर कमेटी से लेकर रंगनाथ कमेटी तक आए रिपोर्ट को क्रियान्वयन पर मुसलमानों के लिए कोई राजनीतिक दल आंदोलन क्यों नहीं कर रहा?

क्योंकि वोटों के गीद्धों इन सभी राजनीतिक दलों को पता है मुसलमान मुसलमान करने से हिंदू पोलराइज होंगे भाजपा के तरफ, इसलिए मुस्लिम समस्या पर सभी राजनीतिक दल अपना होंठ सील रखा है।

यूनाइट हिंदुओं को डिवाइड करने की पॉलिसी के तहत जातीय अस्मिता को उभारकर सड़कों पर उतारा जा रहा है। सड़कों पर खूनी खेल से 2019 की चुनाव को जीतने के लिए यह गंदा और घिनौना खेल खेला जा रहा है। ज्यों ज्यों चुनाव नजदीक आएगा, वैमनष्यता की इस खाई को और चौड़ा करने का खेल खेला जाएगा। बस हमें और आपको सावधान रहने की आवश्यकता है इस डिजाइनर राजनेताओं और पत्रकारों से।

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