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होली रंगों और गुलालों का पर्व है, इसे पानी भरे गुब्बारों और पत्थरों का पर्व मत बनाइये।

होली रंग और गुलालों का पर्व है, परंतु कुछ हरामजादों ने इसे दिल्ली जैसे महानगरों में पानी से भरे गुब्बारों का पर्व बना दिया है। खुद तो घर के तीसरे चौथे मंजिल पर सेफ खड़ा रहेगा और वहाँ से रास्ते गुजरते कार-बाइक-पैदल चलते लोगों पर निशाना साधकर पानी भरे गुब्बारा मारेगा। बिना इसकी चिंता किए सामने वाले का बैलेंस बिगड़ा तो बड़ा हादसा भी हो सकता है।

इन हरामजादों की दो पैसे की हरामजदगी ने कल अपने साथ भी छोटा सा दुर्घटना कर हीं दिया। हुआ ऐसा, बाजार से सामान लेकर बाइक से घर जा रहा था। किसीने तीसरे माले के टेरेस से पानी भरा गुब्बारा दे मारा। गुब्बारा सीधा आंख पर लगा, बैलेंस बिगड़ा बाइक फिसल गया। सामने से ऑटो आ रहा था उसको भी समझने और संभलने का मौका नहीं मिला, वो भी ठोक गया।

गनीमत रहा इतना सब होने के बाद भी कोई टूट-फूट नहीं हुआ। घुटने में चोट है, थोड़ी सूजन, थोड़ा सा दर्द भी है, कुछ दिन लगेगा पूर्ण स्वस्थ होने में।

वैसे चिंता की कोई बात नहीं है, नामुरादों की जाहिलियत के बाद भी चल-फिर रहा हूँ, सारा काम कर रहा हूँ, बस थोड़ा सा दर्द के साथ☺️।

और हाँ इस दर्द ने बाथरूम में इंग्लिश सीट की उपयोगिता को समझा दिया है☺️।

बांकी, होली मस्ती का पर्व है। मस्ती किजिए रंग-गुलालों के साथ ना की पानी भरे गुब्बारों और पत्थरों के साथ। खाइए- खिलाइए, खेलिए और खेलाइए, मस्त रहिए।

"बुरा ना मानो होली है"☺️☺️☺️☺️

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