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नरेंद्र मोदी के नये आइडियोलॉजीकल गॉडफादर दिलीप मंडल धमकी किसको दे रहा है? उसी को जिसके बल पर नरेंद्र मोदी यहां तक पहुंचा है?
एक बात तो दिलीप मंडल
कायदे में रहोगे, तो फायदे में रहोगे.
दिलीप मंडल नहीं बदले हैं. समय बदला है.
मैं कहीं नहीं गया. जमाना चलकर इधर आ गया है.
सरकारें मेरे पास आई हैं.
मैं बायोडाटा लेकर उनके पास नहीं गया हूं.
ये फुले-आंबेडकर की सदी है.
हमने थोड़ा पहले पहचाना, कुछ लोग अब पहचान रहे हैं.
उनके चरणों में सिर झुकाना ही पड़ेगा.
जो कायदे में रहेंगे, वे फायदे में रहेंगे.
नरेंद्र मोदी की लाभार्थी योजनाओं के कारण, नीचे रह गए समाजों में नई समृद्धि आई है, सामाजिक चेतना भी बढ़ी है. हर हाथ में मोबाइल है. यूपीआई है. वे देश-दुनिया को समझ रहे हैं.
ये सब ज्यादातर दलित-पिछड़े-आदिवासी लोग हैं. उनके ही तो घर नहीं थे. टॉयलेट नहीं थे. अब हैं.
वे अब बेगार नहीं करने वाले. वे घोड़ी पर चढ़कर ही बारात निकालेंगे. बुलेट तो जरूर चलाएंगे.
आप जिस स्टोर से कपड़े खरीदते थे, वहीं से ये भी कपड़े खरीदेंगे. सबको बर्दाश्त करना पड़ेगा.
इसका सामाजिक असर चौतरफा होगा. वे अब मांग कर रहे हैं सामाजिक न्याय और अधिकारों की. अपने नायकों के सम्मान की.
हर सरकार को सुनना पड़ेगा.
जो नहीं सुनेगा, वो इतिहास के कूड़ेदान में जाएगा.
संसद में महात्मा फुले की मूर्ति लगी.
महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले पर डाक टिकट आया.
पुणे यूनिवर्सिटी का नाम सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी हुआ.
कर्पूरी ठाकुर यूनिवर्सिटी बनी.
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिला.
बीजेपी का सौभाग्य है कि ये पांचों काम उसके शासन में हुए.
इतिहास में नए नायक आ चुके हैं.
इनके चरणों में नमन कीजिए.
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