कर्नाटक के हम्पी का विट्ठल मंदिर, अनसुलझा रहस्य।
🌸विट्ठल मंदिर 🌸
एक समय हम्पी के विट्ठल मंदिर का यह पत्थर का रथ एक जगह से दूसरी जगह पर अपने पहियों पर चल सकता था।
हमारे पूर्वज पत्थरों को पिघलाना जानते थे ....
प्राचीन समय में एक समान प्रकृति के पत्थरों को पिघलाकर उनमें वांछित गुण उत्पन्न करने के लिए अलग से अवयव मिलाया जाता था,इस तरह से प्राचीन सनातनी इन पत्थरों की आंतरिक संरचना बदलने में सक्षम थे ।
हम्पी के विट्ठल मंदिर के म्यूजिकल पिलर्स इस बात के सबूत हैं । क्योंकि ये स्तम्भ बाहर से देखने पर तो एक जैसे लगते हैं लेकिन इन्हें थपथपाने पर अलग-अलग स्वर उत्पन्न करते हैं। बजाने पर "सा रे गा मा " के स्वर निकलते हैं।
विट्ठल मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। इसे 14वीं और 16वीं शताब्दियों के मध्य बनाया गया था। यह मंदिर 56 संगीतमय स्तंभों के कारण ही प्रसिद्ध है।
16वीं सदी में कर्नाटक के हम्पी में निर्मित विट्ठल मंदिर के संगीत खम्भों का रहस्य अब तक उजागर नहीं हो सका है। तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
इस मंदिर से जुड़ा हुआ एक रंग मंडप जिसमें 12 फुट तक ऊंचे 56 स्तम्भ बने है। ये सभी 56 स्तम्भ सरगम की अलग अलग सुरों पर आधारित हैं।
प्रत्येक स्तम्भ को अलग अलग वाद्य यंत्रों की ध्वनि के अनुसार बनाया गया है। जैसे शंख,जलतरंग, डमरू, मृदंग, और वीणा।
यह मंदिर विजयनगर युग के मूर्तिकारों और शिल्पकारों की अपार रचनात्मकता और उनकी बेजोड़ इंजीनियरिंग , अविश्वसनीय टेक्नोलॉजी और अकल्पनीय प्रौद्योगिकी का उदाहरण है ।
स्तंभों में से कुछ तो 12 फीट ऊंचे हैं.यहां स्तंभों एक श्रृंखला देखने को मिलेगी जहां एक केंद्रीय स्तम्भ के चारों और छोटे छोटे 7 स्तम्भ हैं , केंद्रीय स्तम्भ को एक संगीत वाद्ययंत्र के रूप में डिजाईन किया गया है और इन 7 छोटे स्तम्भों को मुख्य स्तम्भ के चारों और बनाया गया है। ये छोटे खंभे इसलिए प्रसिद्ध हैं क्योंकि जब आप इन्हें अपने हाथों से थाप देंगे तो इनसे बहुत ही सुंदर ,मधुर संगीत निकलता है।
कुछ स्तंभों पर चंदन की लकड़ी से चोट करने पर ध्वनि निकलती है।
🔥⚔️🔥जय श्री राम 🔥⚔️🔥
✍️ सपना सिंह
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